________________
APPENDIX II.
167
निरदई नाहक सतावै अवलान तू ग्वाल कवि वांसुरी वजावै कै चलावे घात गात मै समात असो मारै वैन वान तू लै लै फरफॅरो तरफरों पगें अध मैंरी पै अवमरों अब मरों यही जान तू १६ अथ थंमन कासो कान्ह थंभन को मिल सोध्यो वांसुरी मैं जाको धुनि सुनि व्याल हिरन थके पर वकरा पिये न छोर गेया नहि पीय नोर न्हैया नहि धारै चीर विहंग चके पर ग्वाल कवि कहै जे षड़े हे ते षड़े हो रहै वैठे रहे वैठे राही रुकि के छकै परे जो जो जीव जित जित जैसे जहां जहां रहे तैसें तहां तहां रहे ताकत तके पर १७ देयो देष्यो मवही सहर तेरा उतपाती जाती है न रात बंसी पव तो रहन दै तारन को बंद थक्यो चंद मतिमंद थक्यो सिसुमार फंद थक्यो मारग वहन दै ग्वाल कवि अव अरविंदन फूलन दै मंजुल मलिंदन को मधु तो लहन दै हैन देरे होन दै सवेरी निरदई कान्ह रई को चलन दै मा गैयन दुहन दै १८ अथ चारी मंत्र ॥ तेरे संग लगो डोलैं ब्रजवाल वन वन मन अन गन है अथिर उकसे रहे जहां चाहैं जब चाहें तहां तहां तव पैंच लेइ जथन पै जूथ पावै जोम सालसे रहैं ग्वाल कवि काहू समैं अचवासी करि डार तोहू द्रग उनके तो ध्यान मैं धसे रहैं माहन उचाटन पाकरपन मी थंभन हू चारो मंत्र कान्ह तेरी वंसो मै वसे रहै १९ कान्ह तेने काम को करामात मोषो कब कब ते जगाई जार जंत्रन की जोत है। कौन कंदरा में वैठि कर करतूत कला कौन से परव सिधि कोया मंत्र गोत है ग्वाल कवि गोपिन के पैचि लेइ वा कलिये बंसी येक नाली जाका हरित उदोत है दसनाली थंभन कै उचारिवे को सात नाली मोहिवे को पजव हजार नाली होत हैं ॥ २० ॥ इति श्री ग्वाल कवि विरचिते श्री कृष्ण वंसो वोसा समाप्तम् ॥ हस्ताक्षर नारायण मिश्र के ॥ शुभम्भवः ॥
Subject.-श्री कृष्ण को वंशी की महिमा और प्रशंसा ॥
No.66. Yoga Adbhuta-sāra by Santa Hajuri. Substance --Country-made paaper. Leaves-74. Size-4" x 3". Lines per page 7. Extent-645 Slokas. Appearance-Not very old. Character-Nāgari. Dato of manuscript_Samvat 1946. Place of deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्रीमते रामानुजायनमः अथ योग अद्भुतसार लिक्षनम् दोहा नमो नमो पारब्रह्म नमो नमो गुरु देव नमो नमो संतन सकल हजुरी परणाम्मे १ ज्ञान भक्ति अरु जोग के सतगुरु है दातार हजुरी जिन पद रज कू सिर धरै वारंवार २ भी सागर दरियाव में हजुरो नाव जु डार भक्ति जोगग्ररु ज्ञान की च सा उतरै पार ३ जोग तत्त्व वरनन करूं सतगुरु चर्न हिये धार ।