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________________ 164 APPENDIX II. जिन जिन बनिबो करें प्रलंकार सब भेद ॥ तिन तिनको निर्नय करत जाना सुवुध अषेद ॥ ७॥ End.-उन्मोनितरु विसेष कहि इकहो से दरसात ॥ उन्मोलित मैं इक दिषत दुध को भेद कघ्यात ॥ ४२४॥ श्री राधा गोविंद जू मा बिनती मुनि लेहु॥ अपने पद पद मन जु की सदा भक्ति मोहि देहु ॥ ४२५ ॥ तारक विरद विचार निज तारे पतित विसाल ॥ यही भरोसौ ग्वाल कवि गहै चरन नंदलाल ॥४२६ ॥ इति श्री अलंकार भ्रमभंजन समाप्त ॥ शुभं भूयात् ॥ मिती माघ वदी ७ संवत १९२२ अादित बार || ग्रंथ बिहारी लाल ने लिया मथुरा जी मैं निज दुकान पै॥ श्री राधा कृष्ण जू सहाय ॥ Subiect.-अलंकार। No. 65 (b) Bhakta-Bhavana by Gwala. SubstanceCountry-made paper. Leaves-118. Size-g" x 41". Lines per page-17. Extent-about 2000 Slokas. Appearance-old. Character --Nagari. Date of composition-Samvat 1919. Place of deposit--Pandita Navanīta Chaube, Kavi Mārū Gali, Mathurā. Beginning:-श्री जगदंवायैनमः ॥ अथ भक्तभावन ग्रंथ लिष्यते ॥ दोहा॥ वेद पुरान जु सास्त्र सव सा जाही के रूप । हंस वाटनी वीनधर श्री सरस्वती अनूप ॥ १॥ तिनके चरनांवुजन का करि साष्टांग प्रनाम || ग्रंथ फुटकरन का करत येक ग्रंथ अभिराम ॥ २॥ वंदि विप्र सुग्वाल कवि श्री मथुरा मुषधाम ॥ भक्त. भावन जु ग्रंथ को धरयो वुद्धि वल नाम ॥ ३॥ संवत निधि मसि निधि ससो मास आषाढ वषान ॥ सित पष द्वितिया रवि विपे प्रगटगी ग्रंथ सुजान ॥ ४॥ अथ जमुना लहरी ग्रंथ लिष्यते ॥ दोहा ॥ श्री वषभान कुमारिका त्रिभुवन तारन नाम ॥ सीस नवावत ग्वाल कवि सिदि कीजिये काम ॥१॥ वासी वंदा विपिन के श्री मथुरा सुषवास ॥ श्री जगदंव दई हमें कविता विमल विकास ॥२॥ विदित विप्र वंदी विसद वरने व्यास पुरान ॥ ताकुल सेवाराम को मुत कवि ग्वाल सुजान ॥ ३॥ कवित्त ॥ साभा के सदम लषि होत हैं अदम सम पदम पदम पर परम लता के हद ॥ देई नष दामिनी घनै दुरी प्रकामिनी है जामिनी जुन्हया की जरै जलूस ताके मद ॥ ग्वाल कवि ललित छनान तै कलित कलवलित सुगंधन ते वेस मुदता के नद ॥ वंदन अषंड भुज दंड द्ग जोरै करै। वरद उमंड मारतंड न याके पद ॥४॥ ___End.-दिवारी को ॥ छाई छवि किति पै छहर छवि छैनन की कमकै छपाकर कटा सी वाल त्यारी पैं ॥ उन्नत अनार अत्लगारन पगारन पे समान तारे उठे ऊपर चंगारी पै ॥ ग्वाल कवि जाहर जवाहर जगत जोर जागत जुपारी
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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