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APPENDIX II.
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गोविन्ददास ॥ ५१ ॥ इति श्री गेविन्ददास कृत पाष्टकालोय एकान्त पद संपूर्णम् ॥ संवत् १९२६ मिति ज्येष्ठ सुदि ३ रविवार हस्ताक्षर वैवाव सेवा. दासस्य पठनार्थ कन्हैया ॥
Subject.-श्री राधाकृष्ण के भजन और पद ।
No. 64. Paramādi Binti by Gõpāla Dāsa. Substance-- Country-made paper. Leaves-7. Size-53" x5". Lines per page-14. Extent-106 Slokas. Appearance-old. Character Nagari. Place of deposit-Pandita Rama Gopala Vaidya, Jahāngīrābād, Bulandatahar.
Beginning.-अथ परमादो वोनती लिप्यते ॥ इह परमादो जीव जग जंजाल परयो जी ॥ मान गयंदा मूढ नख सिष क्रोध भरया जी पंचदई मुकलाय वरजत एक नहीं जी करि राषी हरा हाय हटकत जापत हांजी ॥ १॥ छ सै वैर वसाय चौ सौ प्रोत करी जो ॥ सातों का मरनाहि असा नीव धरो जी पाठ अठारह राषि तीन विसार दीये जी॥
End.-नोका अवसर पाय नर परमाद न कीजै। कालि चलोगे वांट संवल पाज करीजै ॥ पाय गई अरु काल्ह परसों प्राय गई जी ॥ इह विधि बीती जात सुक्रत करन नई जी ॥ नर नारी दे कान सुनियो मन चित लाई वीनवै दास गोपान करनी बैकुंठ वे ले जाई ॥ इति परमार्थ चेतावनी परमादो समाप्त ॥
Subject.-विनय ।
No. 65(a) Alaukāra Bhrama Bhanjana by Gwāla. Subs. tance-Country-inade paper. Leavos-37. Size-10%" x 61". Lines per page-21. Extent -777 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Date of manuscript-Samvat 1922. Rawana Lala Hari Chanda Chaudhari, Kosi, Mathura.
___Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ श्री जगदंवायैनमः ॥ अथ अलंकार भ्रम भंजन लिप्यते ॥ दोहा ॥ ब्रजभूषन भूषन भली भूषन भूषन नाहिं ॥ अघटि प्रदूषन यह सदां वह घटि दूषन आहि ॥ १॥ अलंकार ॥ दोहा ॥ कविता भूषन कहत हैं अलंकार वहु जान ॥ अलं भाषियत पूर्न को पूरि रह्यो अषरान ॥२॥ हे मादिक भूषनन को ग्रहन उतारन होत ॥ ये भूषन तनमय दिपत होय न जुदा उदात ॥ ३॥ अथ पलंकार लक्षन ॥ दोहा ॥ रस आदिक तें व्यंग्यते होय भिन्नता जाहि ॥ सब्दारथ ते भिन्न है सब्दारथ के मांहि ॥ ४॥ होय विषइ संबंध करि चमत्कार को कर्न ॥ ताही सो सव कहत हैं अलंकार इमि वर्न ॥ ५ ॥ अलंकार सा द्विविध है सन्द अर्थ मय धार ॥ लखि सन्दालंकार को फिर पर्थालंकार ॥६॥