________________
162
APPENDIX II.
पृ० १२१-१२६ दूतिका वर्णन । पृ० १२६-१३३ विप्रलंभ, अनुराग, अवस्था, अभिलाष, प्रलाप, गुणकथन,
___ चिन्ता, स्मरण, उद्वेग, मान, शकुन आदि का वर्णन।। Note.-निर्माणकाल । संवत् सत्रह सै वरष बीते पच्चासीत ॥ वैसाषी सुदि पंचमी भृगुवासर रचि प्रीत ॥ २३ ॥ ता दिन कागद कलम दै कोनो ग्रादर मान ॥ प्राग्या दै करि ग्रंथ को दीन्हें आपन पान ॥
No. 63. Ekānta Pada by Govinda Dāsa. Substance-- Country-made paper. Leaves-20. Size--6}" x 3". Lines por page-7. Extent-280 Slokas. Appearance-old. Character--- Nagari. Date of manuscript-Samvat 1926. Place of deposit Natthi Bhatta, Dasa Bissa, Govardhana, Mathuri.
_Beginning.-श्री राधा कृष्णाभ्याम् नमः ॥ श्री गोविन्ददासेर एकांत पद ॥ विभास रागिनी प्रभात समय ॥ निशि अवशेपे जागि सव सखो गन वृदा देवो मुख चाई रति रसे बालसे श्रुतिरहुं दुहुँ जन तुरितहिं देइ जगाइ । तुरिहिं करह पयान एई जागाई लेह निज मन्दिरे निकटहि होयत विहान शारी शुक पिक सकल पक्षीगन तुहं सब देहि जगाई जटिल गमन सपहुं मेनि भाखई शुन ईते जागई एई वृन्दा देवी सब सखी गने २ मधुर मधुर करु भाष मन्दिर निकटहि झारि लाई ठाडई हेरतहि गोविन्ददास १ समय जानि सखी मिलल आई ग्रानन्दे मगन दुहुं दुहुं मुख चाई दुहुँ जन सेवन सखी गन केल चौदिगे चांद हेरि रहि गेन नील गिरिवेहि किये कनकेर माल गोरि मुख सुन्दर झलके रसाल बानरी स्वदेई ककूखटी नाद गोविन्द दास पहुं सुनि परमानंद २
End.-कामाद वाटल रति रस वैठल दुई जन माछई अांनन चंद दुहुं जन वदन ताम्बूल दुहुं देयल वसन दुलापत मंद दुहुँ मुख दुहुँ रहु चाई पाहा मरि मरि वेलि वदन पुनः चुंबई दोहे देहतनु निर छाई नोल पीत वसन दुई तनु मोहन मणिमय ग्राभरण साज ऐ छन रसणोरसिक वर नागरी तै छन विदगध राज कतहुं यतन करि विहि निरमायलि दुहुँ तनु ऐकई पराण विकसित कुसुम साभित नव पल्लव गोविंददास परमाण ५० अथ भूपालि रति रसे अवश अलस प्रति घूर्णित सुतलिन भृति निकुंजे मधु मदे भ्रमर भूमरि घन झम्कर विकसित फल फूल पुंजे विनोदनी राधा माधव कारे तमाले वेठल जनुकनक लतावलि दुहुँ रूप अधिक उजार ध्र भुजे भुजे छन्द वंध करि मुन्दरी श्यामरु कोरे घुमाय रदि रसे अवश दुहुँ जन जर जर पिय सम्वी चामर दुलाय सुवासित नीर झारि भरी सहचरो राखत दुई पाश मंदिर निकटे पदतले सुतल महचरी