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APPENDIX II.
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manuscript--Samvat 1785. Place of deposit-Presented at the All India Hindi Sāhitya Sammēlana Exhibition Indaura (Indore).
Beginning:-श्री महागणपतये नमः ॥ करहि प्रथम मगलानि वहुरि वहु बुद्धि प्रकाशहि ॥ जगत सुजस कंह देहि नाम मुष लेत हुलासहि ॥ रिद्धि सिद्धि कंह करहि ढरहि थोरेहि गुननि जन ॥ मांन देहि अति सुजन कांति मानहिं भूपति मन ॥ संकर सपूत मुषदाय हित हुव अमर (न) कंह अति सरन ॥ बड़ भा ( गन ) गंजन सुकबिहि x x x x भरया गनपति चरन ॥१॥ जमुना की वणन ॥ कुंडलिया ॥ जमना वहै गंभीर अति मुषद महा दुहुँ कूल ॥ कमल मुषो तहां न्हाति हे नर नारी अनुकूल ॥ नर नारी अनुकूल फूल फल चारो पावै ॥ प्रातहि सजि सिंगार धाम तें तट कहं धावै ॥ ध्यावै मा सहबास सची सुरपति तें कमुना ॥ रिद्धि सिद्धि मुष लहे जहां डर कोऊ जमुना ॥२॥ ___End.--अथ छप्पै ॥ कलस ॥ चौसठ कला प्रवीन चौदहा विद्या जाने । सुंदर सुघर उदार दक्ष सव के मन मान ॥ स्वामि काज अनुराग जसी प्रति तेज बली है ॥ रसनिधान गुन बीर बड़ी जग माह बली है ॥ मनि सुजान मरदान मनि आजम उजोर मय जग कहई ॥ कमरुद्दीय षांन नवाब सै अष्ट सिद्धि गंजन लहइ ॥ २४९ ॥ इति श्री मुकवि गंजन विरचितायां कमरुद्दी षां हुलाम संपूर्ण संवत् १.७८५ वर्षे कार्तिक मासे शुक्ल पक्षे तिथौ १३ रविवारे जथा प्रति लिषतं रिमभदाम जैसवान लिपतम् कवि गंजन तिवारा श्री सुभ कल्याणमस्तु ॥
Subject:पृ. १-९ मंगलाचरण. वन्दना गणेश को, यमुना नगर, पातसाह, राज्य.
वंश, स्वरूप, कविवंश, महल, मजलिस आदि का वर्णन । पृ००-१५ षट्ऋतु वर्णन । पृ० १५-१९ नवरस वर्णन । पृ० १९-२९ पराक्रम, गज, अश्व सवारी, शिकार, प्रताप, अातंक, कीर्ति,
तरवार, दान मादि का वर्णन । पृ० २९-३१ कवित्त यश के। पृ० ३१-३९ नायक के १४ विधान । पृ. ३०-४२ शृंगार वर्णन । पृ० ४३ प्रामाण। पृ० ४३ नायिका वर्णन । पृ०६९-७४ अष्ट नायिका । पृ०७४-११६ प्रवत्सभर्तिका, त्रिविधि नायिका, भाव, विभाव, उद्दोपन
नादि का वर्णन। पृ० ११६-१२० सखो वर्णन ।