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________________ 160 APPENDIX II. page-8. Extent-462 Slokas. Incomplete. Appearance-old. Character-Hindi. Date of manuscript---Samvat 1893. Place of deposit-Lālā Baijanātha, P. O. Mējā (Allāhābād). Beginnirg.-श्री गणेशायनमः ॥ श्रीमत गुरुचरण कमलेभ्यानमः ॥ अथ शब्द ब्रह्म लिख्यते ॥ अथ मंगला चरणं ॥ गग भैरव ॥ जै जै जै जै जै जै जै जै जै जै जै जै गुरु गोविन्दं ॥ जै जै व्यक्तायक्त अनामै नाम अनंतर नभी वरदं ॥ १ ॥ जै नर हरि जै मीन वराहं जै नरसिंहं अरि छिन्नं ॥ कच्छ रूप हरि जै जै वांवन परसराम जै रघुनंदं ॥२॥ जै वलराम राम जै कृष्णं जगन्नाथ परमानंदं ॥ज गिरिघर कुन गोप उधरनं सुरपति गर्व कियो मंदं ॥३॥ मनमोहन जै जै कमलापति कमन्न नयन पद परविंदं ॥ ४ ॥ जै अध्यक्त नित्य मन रंजन संत सहाई जदुनंदं । जै पनन्त जै सरव निरंतर दोन वंधु हर दुषद्वंदं ॥ ५ ॥ जै जन रंजन जै अघ गंजन जै भो मंजन नंद नंदं जै निरीह निर्वान अरूपं रूप सेा माया फर फंदं । जै जै अविनाशी सव घट वासी स्वतया प्रकाशी मुषकंदं ॥ जे अखंड अद्वै अन्भौगम अन्नप पुरुप सच्चिदानंदं ॥ ७ ॥ जै जै अगुण सगुण गुरु रूपं माह विनासन वि चंदं । गंगा दाशं दास महि प्रभु श्री काशो पद रज वंदं ॥ ८॥ हरि हर ब्रह्मा गु . .. गुरु चरणन चित लाव ॥ सन्कादिक षि मुनिवर ध्यावे संकर्पण चित चाव ॥१॥ ध्रव प्रहादिक मुकदेवादिक जन्कादिक स राव ॥ नानिक दास कवोर लषाया ताही के गुण गाव ॥ २॥ End -हरता करता अंतरजामा मत गुरु स्वामी साई ॥ घट घट अंतर सर्व निरंतर सब सां न्यारो जाई र रक्षा करत सदा संतन को जो जन सावा हाड रे जो पान आनि दुपावत जनका ताका डारत पाई रे गंगादास प्राश चरनन को जग मा विरला काई रे ॥ ४५ ॥ अजहं चत चेतन वारे पानि पहुंचा वादार मागे उमरि गंवाइ गाफिन हरि मृमिरन विन वादार म्वाग्थ मोत मकल जग माही नारी मृत पितु दादा रे जारि जारि धरे र मरे पजाना ता कारन त फांदार जन गंगातन संगन चलसो सत गुरु टेरत नादा रे ॥ ४६० ॥ जागृत स्वप्न मुपेाप्त अवस्था तुरिया पद नहै कोई रे गुण कर्म भर्म जग वंध्या निगन विरला काई र विन सत संग न समता पावै हम हम करता लाई रे जागत सायत सावत जागत सपना सपनां हाई रे गंगा गगन समान्यो मनुवां गुरु गम कहता शाईरे ॥ ४६१ ॥ Subject --भक्ति। No. 62. Kamaruddina Khān Hulāsa by Gañjana of Benares. Substance-- Country-made paper. Leaves.-- 133. Sizo---5" x:3". Lines per page-14. Extent-1386 Slokas. Appoarance-old. Character-Nagari. Date of
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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