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Beginning.—श्रो गणेशायनमः ॥ श्री सरस्वतीज्यानमः ॥ अथा राम अनुग्रह प्रारंभ || दोहा ॥ सिद्धि होत जाते सकल से सबकौ निजु धाम || जामें सब जग भासहीं ताकी करौं प्रनाम ॥ १ ॥ सेारठा ॥ ग्यान ग्येय ज्ञातार ॥ द्विष्टा दरसन ईस पुनि || कपात करतार || तातै ताकौ दंडवत ॥ २ ॥ दोहा ॥ सादर सीताराम को चरन कमल हिय धारि ॥ करें सकल विहार नित मलिन वासना टारि ॥ ३ ॥ विस्नदास नरनाथ नै हिय धरि पर उपकार || राम अनुग्रह ग्रंथ यह रच्या उपनिपद सार ॥ ४ ॥ ग्रंथ प्रादि ते अंत लौ पढ़ सुनै जो काई ॥ ताकी प्रगट परमपद पुनि भव भ्रम नहिं हाई ॥ ५ ॥ छंद गीतका ॥ गंगाप्रसाद उदैनिया इमि विदित ज्यों राम ॥ तिन्हें जु दोन्हीं व्यासपद सुभ विस्नदास नरंस || ६ | प्रायसु सुमिरि गुरु चरन सुष के धाम ॥ रच्यैा प्रभु का नाम तिन ग्रंथ प्रति
पाइ प्रभु
अभिराम ॥
APPENDIX II.
End. - वालमीक मुनि नै करी रामायन सत कोटि || महासन्द पापंड का दयौ देषि सुप पोटि ॥ १५ ॥ याही का वुध जन कहै नाम जु बध्य वशिष्ट ॥ जाकै अवगाहन करै नसे प्रपंच वरिष्ट ॥ १६ ॥ सुषद आदि तं अंत ला ग्रंथ वत्तोस हजार || प्रथम कह्यौ वैराग्य यह पुनि मुमुक्ष व्यवहार ॥ १७ ॥ तोजै जगत उतपति कही चौथी अस्थित भान || पांचा उपसम चित्त को छाया है निर्वान ॥१८॥ छहू प्रकरन का दषि के क्रम कछुक लै सार ॥ ग्रंथ करौ कोविद सुषद हिय धरि पर उपकार || १९ ॥ राम अनुग्रह ग्रंथ यह राम अनुग्रह रूप || राम अनुग्रह ते करौ विस्नदास बड़ भूप ॥ २० ॥ (वे) द उदधि संव (वसु) भू प्रमित (१८४४) ॥ संवत अगहन मास ॥ कृष्ण एकादसि वार वुध तादिन ग्रंथ प्रकास | २१ || छमिया देषि विचारि वुध लघु दीरघ को साथ || जथा वुद्ध भाषा करी प्रज्ञ लहै ज्यों बोध ॥ २२ ॥ इति श्रीजानकीरवन चरनारविंद मधुप राम अनुग्रह ग्रंथ निर्वान प्रकरने ग्रंथ कथनं नाम सर्ग ॥ ३३ ॥ संपूर्ण समाप्त ॥ मिति कार्तिक वदी ५ संवत् १९०६ ॥
Subject. - योगवाशिष्ट का संक्षिप्त सार वर्णन, वंदना, मंगलाचरण, ग्रंथारम्भ, नृपवंश वर्णन आदि । वैराग्य वर्णन सर्ग १ - १२ । श्रीराम लक्ष्मण आदि की तीर्थ यात्रा, श्रीराम का वैगग्य, कौशिक मुनि का श्रीराम लक्ष्मण के लिये दगरथ नृप को जांचना, वशिष्ठ मुनि और भगवान रामचन्द्र का संवाद। शुभेच्छा वर्णन, मुमुक्षु प्रकरण । ज्ञान भूमिका उत्पत्ति प्रकरण, स्थिति प्रकरण । दामत्र्यालादि की कथा, शरीर का वर्णन । उपशम प्रकरण, उद्दालक मुनि प्रादि की कथा, आसक्ति की भूमि, निर्वाण प्रकरण, शिखध्वज, चुड़ीला, वैवस्वत, इक्ष्वाकु, भुशुण्डि दि की कथा का तथा स्थितप्रज्ञ अथवा जीवन्मुक्त पुरुषों का वर्णन ||
No. 61. śabda-Brahma Jijñāsu by Gaiga Rama. Subs tance-Bādāmi paper. Leaves-374. Sizo-6" x 3". Lines per