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________________ 168 APPENDIX II. सब श्री रघुपति ॥१॥ दोहा ॥ श्री गंगा परसाद लहि कवि गंगा परसाद ॥ अर्थ विनय को करत हैं। हरण अनेक विषाद ॥१॥ प्रथम मंगलाचरण हित श्री गणेश (को) नाम ॥ गाइ गुसांई लोक को सिक्षा करो ललाम ॥ २॥ अथ समस्त जगत हित कारक परम कारुणीक श्री सीताराम चरणारविंद मकरंद मधुकर समस्त साधु शिरोमणि श्री मन्तुलसीदास जू ग्रंथ के आदि विर्षे सकल विघ्न शांत्यर्थ श्री गणेश जू के नाम को जो गान है तद्रूप मंगलाचरण करत हैं ॥ ग्रंथादी ग्रंथ मध्ये च ग्रंथांते मंगलमाचरणीयमिति शिष्ट परंपरा श्रवणात् ॥ गाइए इति ॥ गणपति कहैं गणेश तिनकै गाइए सदा गान करिये ॥ अथवा गणपति इत्यादिक जे गणेश के नाम ते गाइए ॥ या सव जगत को मिक्षा करत हैं अथवा माधुन से कहत है ॥ कैसे हैं गणपति जगवंदन ॥ जगत जो संसार तिहि विषे है वंदना जिनकी ॥ इह कर के गणेश नाम स्मरण की परंपरा दिषाई अर्थात केवल मैं नहीं करत हैं। समस्त लोकऊ गणेश जी की वंदना करत है इति भावः तदुक्तं End.-जस कछु संतन सौ सुनी तस निज मति अनुसार ॥ कीन तिलक वुध साधु जन लषि सव लेव मुधार ॥१॥ वुध जन गुरु जन साधु जन सब सन मोर निहार ॥ करि करि कृपा विलोकियो मम टीका की पार ॥ २ ॥ जैसे तुलसीदास की विनयपत्रिका देषि ॥ सही करी अपनाइ करि त्यो रघुवर मुहि लेषि ॥ ३॥ छंद मंजु ॥ मिश्र वंश अवतंश विदित श्री कृष्ण उपासक ॥ भए उमेद इति नाम सकल द्विजधर्म प्रकाशक ॥ कृष्ण चरित्र पवित्र रचेउ जिहि कविता आकर ॥ तासु पुत्र गंगाप्रसाद गंगाप्रसाद पर ॥१॥ श्री गंगापरसाद ते श्री गंगापरसाद ॥ चित्रकूट वसि तिलक सुचि विरचेउ हरन विषाद ॥ १ ॥ इति श्री मिश्रवंशावतंश उमेद सिंहात्मज श्रीमत्पंडित गंगाप्रसाद विरचितं विनय पत्रिका तिलकं संपूर्ण ॥ शुभमस्तु ॥ चैत्र वदी १० भामे ॥ संवत ॥ १९१६ ॥ लिषतं श्री चित्रकूट सीतापुर गंगापैस्वरनी मंदाकिनी निकट लाला जोध्याप्रसाद जो कोई बाचै सुनै तिनको डंडात ॥ जै जै सीताराम श्री सीताराम अवध विहारी सीताराम श्री जानको वल्लभ सीताराम श्री सीताराम सीताराम राम श्री राम राम राम......... ............" Subject.-श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी-कृत विनयपत्रिका की टीका। No. 60. Rāma Anugraha by Gangā Prasāda Vyāsa Udainiya. Substance-Country-made paper. Leaves-68. Size-10" x 51". Lines per-page 13. Extent-nearly 2700 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Date of composition--Samvat 1874. Date of manuscript--Samvat 1906. Place of deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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