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________________ APPENDIX II. 167 मानवी खंड-प्रकार ४७३ मांस जाति-२-जंगली और आंनृप ५ भेद। विश्राम १. जाति भेद नाम और गुण भेद ८। , २. मांसरन्धन परिभाषा । ,, ३. दो प्याज प्रकार। ४. मांसरस अथवा शिरुवा । ५. अम्वनी-विना हल्दी को मांस की कढ़ो। ६. गोस्त कवाव आदि के प्रकार । ७. सींक ब्रूसी आदि के प्रकार । ८. कलिया आदि के प्रकार । ९. पुलाव आदि के प्रकार। १०. मिठाई--मीठा आर नमकीन मांस के ४९ प्रकार । , ११. जंगली और आनूप मांस को गणना आदि का वर्णन तथा अजीर्णाधिकार वर्णन । No. 59. Vinaya Patrikå Tilakam by Gaugā Prasāda. Substance-Country-made paper. Leaves—185. Size--9!" x 5". Lines per pay -18 Extent-18:3:20) Slokas. Appearancoold. Written in Prose and Verse both. Character-Nāgarī. Date of manuscript-Samrat 1916. Place of deposit-Saraswati Bhan.lara, Lakshmana Kota, Ayolliyā. Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ नत्वा शंभु मुतं च सिद्धि महितं श्री शान्तं श्रीनु(मु)तं साकारं शशि शेखरं मुख करं श्री शंकरं शंकरम् ॥ सवरिनी सुख कारिणों च जननों लाकस्य लोकेश्वरं कुर्वेह शिशुवाधिनों दिनकरं विष्णुं च सीतश्वरम् ॥ दाहा ॥ गणपति गुरु गिरिजारमण गिरारमण पद वंद कपिपति मुनि. पति अमर पति रघुपति पद मकरंद ॥१॥ कियो जु तुलसीदास ने विनय पत्रिका ग्रंथ ॥ सकन शास्त्र श्रुति संत मत सहित ग्रंथ निर्मथ ॥ २ ॥ ताकी टीका यथा. मति वानवाधिनी नाम ॥ करहुं छमहुं मम चपलता सुजन श्रवण विश्राम ॥ ३॥ अर्थ भाव पद विषमता जहां मोहि दरसाई ॥ तहां यथाचित लिव त सब संत चरण सिरनाइ ॥ ४॥ हिय हुलमी पुलसी परी तुलसी कृपा कटाक्ष ॥ याही ते मम उक्ति की करिहैं सजन साक्ष ॥५॥ कुंडलिया ॥श्री रघुपति चरचा चतुर जे जग भक्त अपार ॥ तिनके पद वंदन करहुं विगरी लेव सुधार ॥ विगरी लेव सुधार जानि मुदि निज पद किंकर ॥ तुम सब परम कृपालु मोहि लषि मंद मलाकर ॥ कह तुलसी कृत काय कहाँ अति मलिन मोर मति ॥ अंतर प्रेम निहारि सुधारहि 11
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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