SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX 11. 163 विवेकहि ग्यान श्रष्ट ॥ सब सुघर मुर माइर प्रवीन । पर दुष निवार पुर पुरुष. लीन । __End.–दाहा ॥ बुरी करै जो आपु सौ तासौ करिये पापु ॥ मारण पावै मारियै रंचक होइ न पापु ॥ १ ॥ है प्रसन्न वैतान वहु विक्रम को वरु दीन । वीर विक्रमादित्य पुनि राख्यो नाम नवीन ॥ २ ॥ वृह्मादिक पाये तहां वर दीनै वहु भाइ ॥ कही भूप रहिहै कथा तुम्हारी त्रभुवन छाइ ॥ ३॥ ग्रासमुद्र अवनीस के करी राज वहुवर्षे । अंत समय वैकुंठ पद पैहै। भूप सहपे ॥ ४॥ जप विका की कथा पूरब कवितु वनाई ॥ कही तथापि कही कछु मैह उक्ति उपाइ ॥ ५ ॥ पारन के वे वैन जा यह लषिहै। मनु लाइ ॥ ता कछु याको समुझि के रचियो तहा बनाइ ॥ ६ ॥ पोग्नु को मतु पाइकै याहू को अवरेषि ॥ नीर छोर परपत रहै कविता हंस विसषि ॥ ७॥ माथुर कुन कला सात ये मति अमंट मकरंद ॥ तिनकै भयो तनू लहो गंगापति मति मंद ॥ ८॥ तिनि कोनी विक्रम कथा अपनी मति अनुहारि ॥ जो विलेष यहा चाहिये लेा तहा लेहु मुधारि ॥ ९ ॥ इति श्री गंगेम मिश्र विरंचिते विक्रम विन्नासे पंचविंसति कथानकं ममाप्तं ॥ २५ ॥ संवत १८०१ कातिगे मासे शुक्ल पक्षे पंचमी चंद्र वासरे ॥ निषितं पाठक हेमराज हरी रामे पात्मज शुभं भवेत् ॥ ब्रह्मपुरी गुसाइ को कृया । कसेरगाम वाम्तय गमासनी पयोजन ॥ श्री राम सति ॥ Subject. कथाएं । No. 57. Kalikāla Charitra by Gangā Prasāda. Substance -Country-made paper. Leaves-9. Size-8" x 41". Lines per page.-12. Extent-170 ślūkas. Appearanco - Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Sarasvati Bhandara, Lakshmaņa Kāța, Ayodhya. ___Beginning.--श्री गणेशायनमः ॥ छंद ॥ छप्पै ॥ सुमिरहु राजकुमार मार जिनको लषि लाजत ॥ राज राज मणि मुकुट सदा कासलपुर राजत ॥ श्री गणेस गुन षानि गौरि संकर गुन मंदिर ॥ अति विचित्र कलि चित्र चरित्र सु वरनहुँ सुंदर ॥ श्री तुलसीकृत बोच नीच कलि कर्म जे भाषे ॥ ते निज मति अनुसार सार लषि गुण गणि गषे ॥ १ ॥ मंजु ॥ देषि जगत का ख्याल हाल वेहाल हुवा दिल । अमित कराल कलिकाल जुलुम लषि चित न परै कल । सारी जग की राति भई अब नई दई किन । नहीं कानों सेा सुनी गुनी नहिं कबहु जा(त) सिन ॥ २ ॥ सैली फैली भली सकल गैली गैली विच ॥ चहू वारि मचि रही जहां दां तहां किच किच । नहीं प्रेम नहीं नेम छेमता छनक छपानी ॥ गई धर्म की कान कर्म. की गलो हिरानी ॥ ३ ॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy