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________________ APPENDIX II. 152 सुनाये ॥ शुक परिक्षतहि कह्यौँ कहूं कछु भेद न राख्यौं ॥ मुंदर मुद्ध संवाद सूई सूत सक्षम सम भाख्याँ ॥ जिहि भांति भागवत में कथा कथन कियौँ जु समर्थ गुरु ॥ रस रूप रचे संक्षेप श्री रामचंद्र पद राखि उर ॥ २॥ ___End..-महाभागवत जो कह्याँ सूत शैनिकनि पास ॥ सा समस्त संक्षेप ही भाषा कियौँ प्रकाश ॥ २०० ॥ समदरशी मुक्ती सुमति शीलवंत अति साधु ॥ तिनि के पद वंदन करत छमिये जु सब अपराध ॥ २०१॥ वम दिग शत संवत हुयौँ दिनकर अधिक प्रमान ॥ पूरण भाषा भागवत भयौँ सुमति अनुमान ॥ २०२॥ इति श्री मद्भागवते महापुगणे द्वादश स्कंध प्रथम स्कंधादि द्वादशांत संपूर्णम् सुलेखक पाठकयौः शुभमस्तु ॥ श्रीरस्तु ॥ कवि गणेश दत्तेन परोपकारार्थः श्री मन्महामंगल मूर्तयेनमः ॥ | Subject.-श्री मद्भागवत की अवतरणिका अथवा विषय सूची। ___No. 56. Vikrama Vilasa by Gangesa fisra. SubstanceCountry-made paper. Leaves-59. Size -8.1" x 5.8". Linus per page-25. Extant-3554 Slokas. Appearanco-Very old. Character- Nāgari. Date of Manuscript-Samvat 1801. Place of Deposit-Rama Gopala Vaidya, Jahangirabad, Bulandabahar. ___B-ginning.-श्री गणेशायनमः ॥ अथ विकम बिलास लिख्यते ॥ प्रस्तुति गणेश की ॥ गलित गंड मद मिलेत गात कुंडलित मुंड मुख ॥ ललित बाल बिधु कलित भाल दल मलित दास दुख ॥ चलित चारु लाचन विशाल सुर नर मुनि वंदित || कर कपाल मधु गंधलाल मधुकर कुन वंदित ॥ गुन ईश गणेश गजेश मुख गिरीश तात दाता मुमति || करीये कटाछि करुना कलित सुकवि वरनों भाषा जुगति ॥ १॥ सारठा ॥ हरन अमंगल वाल मंगन करन मतंग मुख ॥ धरन बाल विधु भात्न विघ्नहरन विघननि हरहु ॥ २ ॥ नगर वरननं ॥ उज्जैनि नगर एक अति अनूप । जहां वसत नारि नर परम रूप ॥ पंडित पुकारि कहूं पढत वेद । लहि तत्व ग्यान पर हरित भेद ॥ संतोष सील सुष के निधान । निजु धर्म कर्म जिनके प्रधान ॥ नित करहि होम जब जग्य दान । तन नेज चंद रवि के समान ।। श्रुति स्मृति न्याइ वांचे पुरान । विनु सी (ल) कंद जिनके न पान | छत्री प्रचंड जहां साभिमान । चढ़ि चढ़ि तुरंग बडरे प्रमान ॥ करमेक दंड संघा निधान । करिपक दृष्टि मारत निशान ॥ जे सर सति साइर सयान। जिन देत काज उपमा न पान ॥ जहां वसते धन धर्म जुक्त। द्विज देव सेवते जीव मुक ॥ सेवा प्रधान जहा सर्ज लोक । इमि चारि वरन जहा हे विसाक ॥ पासरम चारि जहा धर्ममिष्ट । विद्या
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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