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________________ 160 APPENDIX II. पदार्थ के पायवे के कारण है भवदधि तारण जिहाज गुरु गावै है ॥ अचन अनंत सुष रतन दिषायवे के ज्ञान दरप्पण ग्रंथ भय उर भावै है ॥ १९३ ॥ दोहा॥ पापा लषिवे की यह आनंद करत अपार ॥ दरपण ज्ञान ग्रंथ यह कीयो दीप अवि. कार ॥ १९५॥ श्री जिनवर जयवंत है सकल मंत सुष दाय ॥ सही परम पद को करै है त्रिभुवन के राय ॥ १९६ ॥ इति श्री साह दीपचंद कृत ज्ञान दर्पण ग्रंथ समाप्ता ॥ मिती भाद्रवाद्रजा बदी ॥ २॥ संवत १९२८ ।। शुक्रवार लिष्यते नंदराम ॥ Subject.-जैनशास्त्र-ज्ञान । No. 53. Dwaitādwaita-vāda by Durgēša. Substance - Country-made paper. Leaves-14. Size-73"xs". Lines per page-8. Extent - - 280 Slokas. Appearance-Old. Character -- Nāgari. Date of Manuscript-Samvat 1889. Place of Deposit- Sarasvati Bhandara, lalshmana Kota, Ayodhya. Be:inning.- श्री गणेशायनमः दाहा । विघन कदलि वन कदन कर श्री गजवदन उदार । मुमिरत ही पूरन करत मन अभिलाप अपार ॥ १॥ नृप वघेल अवधूत सुत श्री अजीत महाराज । ता मत जै सित्र दव नृप निपिल नृपति सिरताज ॥२॥ कछक विसिष्टाद्वैत कछ द्वैताद्वैत विधान । ह मतवाद विचार वर लिली सास्त्र अनुमान ॥२॥ छंद वद्ध के हेत पृनि दीन्हेउ नृपति निःस । ह मत. वाद सा ग्रंथ यह रचेहु सुकवि दुग्गेस ॥ ४ ॥ नृप यक दिन यक वित्र पै कीन प्रश्न अवदात । कहै। मुखद सतमंग हित निज मत की कछु वात ॥ ५॥ वाला दुजवर प्रश्न वर वारहीवार वपानि । नृप नागयन के परे तत्व न दृजो जानि ॥ ६ ॥ वहै वह्म व्यापक कहै ब्रह्म वाहि न भेद । चित पर ऊचित विशिष्ट तेहि वरनत है वुध वेद ॥ ७॥ End.-चौ० भाग्य विषय रज तम मय जानौ । इन्है संधिनी में लय मानो ॥ संवित जनित ग्यान जिय ग्यानी । ताकी लय संवितै वपानी ॥ परमातम तन परमानंदै। त्रई सक्ति मय वरनत छदै ॥ रामानुज मत सम्व गया ही। होति प्रतीति प्रीति अस मेाही ॥ त्रय प्राचारज त्रय मत गावै । हम सब की कता लषावै ॥ गोपी सक्ति गोप जिय वंदै। तिन विसिप्ट हरि करुना कंदै ॥ या रामानुज मता गुनीजै । द्वैत माध्व सिद्धांत मुनीजै ॥ जीव समूह गाप गोपी गन । सेवक सेन्य येक आनंद घन ॥ दाहा ॥ गोपी गाप गोविंद पद सतचित पानंद गेहु । यहि विधि सिधि अद्वैत तह नाहिन कछु संदेहु ॥ ५२ ॥ साई सच्चिदानंद का सब मय बरनत वृद्ध । यहै मुरूपा द्वैत मत है हमारो सिद्ध ॥ ५३॥ इति श्री मनृपति जैसिंघ देव कृत मतद्वैताद्वैत वाद ग्रंथ संपून समाप्त संवत १८८९ मार्ग सदी ५
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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