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________________ APPENDIX II. 141 १४५. १४७. १५३. १८६. ११०. १०९. लीला लीला १५. रहस्य लता ३०. मान लीला १६. पानन्द लता ३१. रस विहार १७. अानन्द दशा ३२. वन विहार १४२. १८. ख्याल हुलास ३३. रंग विहार प्रीति यावनी ३४. मन मिंगार २५७. २०. युगल ध्यान ३५. हित सिंगार १६४. २१. पीपाजो को नामावली ३६. सभा मंडल १७२. २२. रम मुक्तावली १००. ३७. रंग बिनोद २३. रस हीरावली ३८. रसानंद लीना १८१. २४. रस रत्नावली ११९. ३०. दान विनोद २५. रीति मंजरी १२२. ४०. सिंगार दात २००. २६. रहस्य मंजरी १२७. ४१. प्रेम लता २२०.. २७. नेह मंजरी १३२. ४२. रंग हुनास २३२. २८. मुष मंजरी १४०. ४३. पद्यावनो २३५. २९. नृत्य मनी १४२. No.51b). Siddhānta Vichåra by Dhruva Dāsa. Substance -- Country-mado paper. Leaves--14. Size---8" x 6". Lines per pago--10. Extont,378 Slökas. Appearance -- Old. Character -Nagari. Place of Deposit-Pandita Rima Chandra Vaidya Chikitsa Chūdamani, Bhārata Aushadhālaya, Mathurī. ___Beginning.- प्रथ सिद्धांत विवार लिष्य। ॥ प्रेम को बात कछ इक जैसो ल डिनो लाल जी उर में उपजाइ तैसा कही ॥ रमिक भक्तनि से अब यह विनतो है जो कछु घरि भूलि कहि गई हो तो कृपा करि समुझाइ दी जिहि प्रेव माधुरी श्री जुगन चंद पानन्दकंद नित्यानंद उन्नत नित्य किसाः ॥ श्री वृदावन निकुंज विहा रस मत्त विलास करत है ॥ जथामति किंचित ठोगों के कही जैसे सिंधु तैसीय भरि लीजै प्रेम नेम के लछिन कहा ॥ कहा नेम कहा प्रेम प्रेम को निज रूप चाह चटपटी अधीनता उजनता कामनता स्निग्धता ॥ सरसता नौतनजा सदा पक रस रुचिर तरंग बढ़त रहैं ॥ सहज स्वछंद मधुरता मादकता जाकी प्रादि अंत नाही ॥ छिन छिन नौतन स्वाद ॥ नेम अनेक भांति है कछु कही देषिवा हसिवा बोलिवा मान निकुजांतर किंवा निकट होइ॥ और केाक विलास मादि सब प्रेम के नेम हैं। ___End.-चौपाई ॥ यह प्रवेाध ध्रव जो मन धरै॥ साई भलो अपनी करौ यह सिदांत सार यह जानौ। और कछ जिय जिनि उनमानों ॥ छिन छिन काल
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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