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________________ 146 APPENDIX II. पचन संतत जहां रहई ॥ जैसी रुचि तैसो हो वहई ॥७॥ .... नेह मंजरी मंजु रस मंजुल कुंज विलास ॥ जिहि रस के गावत सुनत रसिकनि होत विलास ॥ ६९॥ रूप रंग की बेलि मृदु वि के लाल तमाल ॥ नेह मंजरी दुनि में हरी रहन सव काल ॥ ७० ॥ इति श्री नेहमंजरी संपूर्णम् ॥ २७ ॥ End -प्रलंकार छूटे पट भूषन पर छूटी कंवरो की डोरी ॥ भरि लई अंक रमिक मन मोहन श्रमित जानि के नवल किशोरी ॥ परम प्रवीन दाऊ अवधि प्यार को करत पवन अंचल निज छोरी ॥ हित ध्रुव प्रेम सिंधु रस वाढ्यौ सहज ही मेंड लाज को तोरी ॥ ७९ ॥ इति श्री ध्रुवदास कृत पद संपूर्णम् ॥ कान्हरी ॥ हिम रितु सुखद ससि रितु आई देवा अद्भुत साभा छाई ॥ प्यारो जू के पर गुल सेाहै प्रीतम पहिरै सरस कवाई ॥ कुंज महल में ऊव मुहाई ॥ कनक अंगोटो धरा वनाई ॥ जरत अगर अंबर संवर अति परम सुगंध रह्यो तहां छाई ॥ Subject.-पद । ग्रन्थ के ४३ भाग नीचे लिग्वे अनुसार हैं:___ लीला पृष्ठ विषय १. जीव दया १ हरि भजन महिमा । २. वैद्य के पुराण भापा ३ वैद्यक ज्ञान-विषय भोगादि वामना रूपी पाप रागों की आषधि, इन्द्रियनिग्रह, ज्ञान ध्यान, जय, योग, भक्ति, सत्मंग प्रादि । ३. वृहद् वावन पु० भाषा ५ वृन्दावन और गापिका का माहात्म्य वर्णन। ४. सिद्धान्त विवार १२ गद्यपद्य-सिद्धान्त भक्ति के। ५. भक्त नामावली २४ भक्कों की नामावली और उनके संक्षिप्त विवरण । ६. ब्रज लोला ३२ राधा कृग का परस्पर दर्शन, प्रेमांक, विाह और ललिता का कृपा का सखी वेश में राधा से मिलाना। ७. भजन शत ४१. भजन निसनी प्रेम की अथवा भजन कैसे करना चाहिये। मन शिक्षा १९. उपदंश भजन करने के। ९. वृन्दावनशत ५३. वृन्दावन का माहात्म्य-निर्माणकाल-१६८६ - पूर्णमासो अगहन । १०. भजनाष्टक ११. पानंदाष्टक १२. भजन कंडली १३. अनुराग लता १४. प्रेमावली
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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