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APPENDIX II.
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Subject.-पांडव कौरवों का जीवन चरित्र ॥ सभापर्व में ममा का, वन पर्व में पांडवों का वनवास; कर्णपर्व में कर्ण को और गदापर्व में भीम को गदा आदिका वर्णन है। ___Note.-श्रीपति कृत कर्णपर्व में धर्मदास का हाल यों है। कवि कर पिता धर्म कर धामा ॥ धर्मदास प्रस ताकर नामा ॥ चारि पुत्र तेनकै भै तैमे । नाम विसेष कहत हैं। जैसे । भै कवि गंग प्रथम गुन ागर । षर्गमेनि पुनि सुमति के सागर । तासु अनुज दलपति अभिरामा । चौथे श्रीपति मोरे नामा।
No. 49. Chikitsā-sāra by Dhiraja Rāma. Substanco Country-made paper. Leaves-46. Size-84" x 6". Lines per page-22. Extent -1838 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1810. Place of deposit-Chiranjiva Lala Vaidya Jyotishi, Sikandarabad, Bulandasahar. ___Beginning.-श्रीमते रामानुजायनमः ॥ सारठा ॥ कमल नयन सशि भाल नाग वदन इकरदन युति ॥ वरद विरद प्रति पाल हरै विन्न विधनाधिपति ॥१॥ कर मुरली उर माल सुभट मुकट सिर भृकुटि धनु। सपा संग लियै ग्वाल हरै वित्रन घन स्याम जू ॥ छपे ॥ सून्य चंद्र वसु चंद्र वर्ष विक्रम सुभदायक । ज्येष्ट शुदो रवि दूज पूज हर गुन दीन नायक ॥ पाय गुविंद प्रसाद सार ग्रंथन को लोना । नाम चिकत्सा सार ग्रंथ यह भाषा कोनो ॥ कृपा राम दुज लडिता को नंदन धीरज धा। करवा ग्रंथ भूली कहूं देव सुधार तुम वैद वर ॥ ३॥ दोहा ॥ पाप वृत्तषु चित्त कि करयो चिकत्सा ग्रंथ । मति अनुसार विचार कर ले रिषता तक पंथ ॥ ४॥ अथ परभाषा छप्पै ॥ त्रो रत्तो वन जान सात रतो कै मासा । चौमासे का टंक मास दस कर्ष प्रकासा ॥ चार कर्ष पना जान चार पना ताल कुडव तक । चार कुडव का प्रस्थ चार प्रस्थ को प्राडक ॥ हो नवली मंदागनो जाते लघुतर कलजुगो । ताते कहो विचार कर परभाषा यह कलिंग को ॥ ५॥ अलि ॥ x x तैले कुडव तक रजो लीजिये। गोलै सूपो इन्य भाग सम दोजिये। प्रस्थ पाद लै गिलौ दुगन विचाये। सेा पल तक कहै केनिक दुगन न डारियै ॥६॥
___End.-केसव मुकंद नदनंद वृजचंद भज माधव गुपाल मधु सूदन मुरारि जू ॥ राधा पति अवधि पति जगत पति रमापति रुकमनि पति कृण कंसारि जू ॥ हरि हरि हरि विष्णु विष्णु मुमर का चरण कमल ताके हिरदै मे धारि जू ॥ अच्युत अनंदकारी दोनानाथ भगवान रोग अरु वियोग सेग कर है सिंघारि जू॥ ३२ ॥ सुभट मुकट सिर जरत मन मकराकत सा प्रकुटो धनुष मीन पट धरै कट में । अमल कपोल लोल मटक नयन करत ला ठारे जमुन के तट मैं ॥ वासरी