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________________ APPENDIX II. 141 Beginning.-थ राजनीति के कवित्त लिभ्यते कवित्त ॥ नीति हा ते धरम धरम तें सकल सिद्धि नोति ही तें अादर समान वीच पायये ॥ नीति ते अनीति छूटै नीति हो तें सुष टूट नीति ही तें वोलै वो वकता कहाययै ॥ नीति ही तें राज राजनीति ही पातसाही नीति ही को नव षंड माहजस गायये ॥ छोटेन को वड़ो करै वड़े माह वड़ो करे यातें सव हो को राजनीति ही सुनाययै ॥ १॥ कौन यह देस कान काल कौन वैरी मेरी कोंन हितू नेक ढिग ते न टावै॥ केती आय पद के षस्य कितक दल तेहो उन मान मेाहि मुष तें निकारिवै ॥ संपति के पावन कै कोंन मेरी अवरोध ताकी को उपाव इह दाउ उर धाग्वैि। राजनि को राजनीति नित प्रति देवीदास चारिघी गति रहै इतनै विचारिव ॥ २॥ End.-सिमर में सीत ने करी है और ति आय घामहू में चांदनी के चैन उमहत है ॥ संपृट सरोज गहें कुमुद विकास चहै मिलि न सकत कोक कविर दहत हैं ॥ सीरी सोरी सुभग वे किरनि लगति गात राति के विलास सव भार ही लहत है ॥ ससि के उ4 को सुप मानि सविता को श्राप चांप सौ चकार चितवत हो रहत है॥ २०॥ इति राजनोति के कवित्त संपणे ॥ Subject.-कवित्त राजनीति कं । ____No. 47 (b). Prima Ratnakara by Devi Dasa. SubstanceCountry-made paper. Leaves-37. Size-61" x 54". Lines per page-10. Extent-425 Slokas, Appearance-Old. Character -Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1909. Place of Deposit-Ramanalila Hari Chanda Chaudhari, Kosi, Mathurā. __Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ अथ देवोदास कत कवित्त लिख्यते ॥ अथ प्रेम का निरूपन ॥ दोहा॥ जीव सहित या देह को विसरि जाइ सब नेम ॥ जा काजै सव सू कहें पंडित प्रेमी प्रेम ॥ १ ॥ जी में उपन्यो प्रेम फिर जीव दिये हु न जाइ ॥ तासां प्रेमी कहत हे प्रेम नाम ठहराइ ॥ २॥ झटो सव विधि ऐक यह प्रेम सार संसार ॥ यात रत्नकुमार ने किया प्रेम से प्यार ॥ ३॥ प्रेम विना संसार के सुष को लहै न लेसु ॥ बिना प्रेम कोने लह्यो हरि मूरत परमेसु ॥ ४ ॥ ताते या वा लोक में प्रेम विना नहिं गौर ॥ जा बिन या संसार में पग धर्धारवे नहिं ठौर ॥ ५॥ ____End.- जुग जुग कीरति बढ़ाइबे को राजनि की सभा में पढ़ाइबे को पाछौ गुन गाया है ॥ प्रेमिनि को प्यारो है न काहू ही का दुपारी जगत भगत सुनां सब को सुहाया है। सूरज को वंसराज सगर के सिगरेनि सत्यजुग माह तैसे सागर षनायो है ॥ त्यो हो कल माहि साम वंस के सपूत भैया रतन जू प्रेम रत्नाकर का बनाया है । ५० ॥ इति श्री मन्महाराज राजकुमार यदुवंसावतंस श्री 10
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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