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APPENDIX II.
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Date of Manuscript-Samvat 1900. Place of DepositPaņdita Parmānanda Śarmā, Baladēva, Mathurā.
Beginning:-श्री वलदेवाय नमः ॥ अथ श्री वलदेव बिलास पंडा दयाकृष्ण कृत लिष्यते ॥ दोहा ॥ दो कर जोरि निहोरि ॥ करि पद पंकज सिर नाय ॥ वारंवार विनती करौ दीजे ग्रंथ बनाय ॥१॥ शुभ अछिर मोहि दीजिये , गोस्वामि गुन रासि जथा बुद्धि वरनन करौं श्री बलदेव विलास ॥२॥ दयाकृष्ण वलदेव की दयाकृष्ण चित चाहि ॥ कृपा दृष्टि अवलोकिये अपनी दिस प्रवगाहि ॥ ३॥ परि खंडन मंडन मही ॥ लसत शेष अवतार ॥ दयाकृष्ण वर्णन करें इल मूसल हथियार ॥ ४ ॥सुषसंपति मंगल करन अशुभ हरण काटेव ॥ देव भेवपावें नहीं जै जै श्री वलदेव ॥ ५॥ जैति सच्चिदानंद घन पूरन ब्रह्म स्वरूप ॥ व्यापो माया ते परे अजर अनादि अनूप ॥ ६॥ देव भेव पावें नहीं ध्याने पाठो जाम ॥ असे श्री बलदेव के वंदी पद अभिराम ॥ ७॥ अथ अलंकार वर्णन || संदेहालंकार नाम ही मो लछिन ॥ छन्द मोती दाम ॥ धरें हल मूसल हाथ हथ्यार ॥ करै सुष सिंधु अगाध उदार ॥ लसै तन अंवर नील हाय ॥ कहै छवि कौन यहै छवि गाय ॥१॥ लियों मघवा धन स्यामन घेरि ॥ किधी लपटें तम पुंज सुमेर ॥ उत्प्रेक्षा ॥ समभावना जामे होइ सा उत्प्रेक्षा सेा तोनि प्रकार ॥ वस्तु ॥१॥ हेतु ॥२॥ फल ॥३॥ दोहा॥ नीलांवर छवि यों लसै गोरे तन सुष पाय ॥ जनु मघवा घन स्याम ने घेरी अति हरषाइ ॥१॥ चावा मुष मंडन कियों साभा इमि सरसाइ॥ नील कमल जनु चंद्रमा गोल्यों अवसर पाइ ॥ २॥ अंजन वन सेवत सुवन विन पट भूषण साज ॥ सदा राम के दृगन को समता लहिवे काज ॥
__End.-जौ कहु वरन अलीन है। मा जिनि दोष निहारि ॥ वाल वुदि मम जानि के लीजो सुकवि सुधारि ॥ ३३॥ संमत अष्टादस जुसत पठसठि ऊपर और फागुन सुदी सुद्धेज सुभ शुक्रवार सिर मार ॥ ३४॥ ताहो दिन या ग्रंथ को जन्म भयो वृज मांहि ॥ दया कृष्ण वलदेव में दाऊ जू को पांहि ॥ ३५ ॥ इति श्री सौभरि ऋषि कुलोद्भव सुकवि पंडा दया कृष्ण विरचितायां श्री वलदेव विलास ग्रंथ संपूर्णम् ॥ संवत १९०० ॥ मिती वैशाख कृष्ण ॥ ७ ॥ भृगुवासरे ॥
Subject.-पृ० १-७ श्री वलदेव जी की स्तुति और प्रशंसा, छवि और शोमा वर्णन । ७-२३ पलंकार वर्णन ॥
No. 47 (a). Rājaniti kē kavitta by Devi Dāsa. Substance-Country-made paper. Leaves--18. Size - 10" x 6". Lines per page-20. Extent-450 Slokas. Appearance-Old.
Character-Nagari. Place of Deposit-Pandita Parmānanda .. Sarma, Badadeva, Mathura.