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APPENDIX II.
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मंजु कजरारे प्रेम भरे रूप मतवारे ॥ इनो के ध्येल मे साई पड़ेगा सुघड हे साई ॥ हुतो भइ प्रेम मतवारी दास दया कृष्ण बलिहारी॥२०॥ श्री॥
Subjeot.-श्री राधा कृष्ण के भक्ति पूर्ण पद। __No. 46 (b). Pingala by Daya Krishna. Substance-Coun. try-made paper. Leaves 33. Size-11}" x 6". Lines per page-22. Extent-880 Slokas. Apprearance-Old. Charactor-Nagari. Date of Composition-Samvat 1868. Date of Manuscript-Samvat 1880. Place of Deposit-Pandita Parmānanda Śarmā, Baladeva, Mathurā.
Beginning.-श्री वलदेव जू सहाय ॥ अथ पिंगल भाषा पंडा श्री दया कृष्ण जो कृति लिख्यते ॥ दोहा ॥ अति उदार भुव भार हर वेद न पावत भेव ॥ अशुभ हरण सव शुभ करण जय जय श्री वलदेव ॥१॥ कवित्त ॥ रेवती रवण दुष दमन भवन तीनौ प्रगट प्रताप हल मूसल करन में ॥ भुव भार हरिवे की कलप कलप प्रति शेष अवतार रूप धारत नरन में ॥ कविता तिहारी नाग पिंगल कहत जासा हूजिये कृपाल पाया रावरो शरण में ॥ ताकी छाया चाहत करन दया कृष्ण यातें करत प्रणाम वलदेव के चरण में ॥२॥ दया कृष्ण पै कोजियै दया कृष्ण वलदेव ॥ लछि लक्षिणा जुक्त यह ग्रंथ पूर्ण करि देव ॥३॥
End.-रूप घनाक्षरी छन्द ॥ भक्तन परम पद देत हित चित करि वाढ़े सुष सिंधु कवि कौन कहै गुन गाय ॥ मुनिन के मन माहि पावत न ध्यान हरि ॥ असे सरवज्ञ ईस कहै कौन जू सताय ॥ हय गय संपति भंडार दत्त क्षिण माहि झाकी के निहारे सब दुःषन के पुंज जाय ॥ देवनि को देवरु प्रदेवनि सिधारु करें जैसे बलदेव को निहार क्यों न चित्त लाय ॥ दोहा ॥ या विधि पिंगल मत्त सरल दया कृष्ण जू कीन ॥ पाय कृपा वलदेव की सुकवि अनुग्रह लोन ॥ सेस काव्य सागर अगम कहा सकै कोउ भाषि ॥ तामें ते कछु मति जथा लियो चौचि भरि चापि ॥२॥ वरनत में चूक्यो कहूं ॥ तो सुधारि कवि लेहु ॥ दयाकृष्ण की ढीठता गुनी माफ कर देहु ॥३॥ संवत ठारै सै वरस अठसठि फागुन मास ॥ कृष्ण पक्ष रवि पंचिमी ग्रंथ जन्म परगास ॥ इति श्री पंडित पंडा जी दया कृष्ण जी कृति पिंगल भाषा संपूर्ण ॥ संवत १८८० कर्तिक शुक्ला १० श्लो० ७०० ॥
Subject.-पिंगल।
No. 46 (c). Baladēva Vilāsa by Dayā Krishņa. Substance-Country-made paper. Leaves-23. Size-8!" x 52". Lines per page-22. Extent-570 Slokas. Appearance-Old.. Character-Nāgari. Date of Composition--Samvat 1868.