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________________ 138 APPENDIL II. दत्तलाल वलिहारा ॥ ३६ ॥ इति श्री दत्तलाल की.वारा परी समापिता । संवत् १८३७ साके १७०२ मासोत्तम मासे ज्येष्ठ मासे कृष्ण पक्षे एकादसो चंद्रवासरे पुस्तिग लिषितं मिश्र भोजराज पात्म (ज) लाला सेछुमल्ल जी ॥ शुभमस्तु मंगलं ददात् ॥ राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम मगलं भगवान विष्णु मंगल गरुडध्वजः मंगल पुंडरीकाक्षं मंगलायतनो हरि ॥ राम ध राधेकृष्ण राम राम राम राम लक्षमनि जानिकी जै बोलो हनुमान की ॥ राम राम राम ॥ Subject.-ज्ञानोपदेश । 46.(a). Kavittadi by Daya Krishna. Substance-Countrymade paper. Leaves-5. Size-10" x 6". Lines per page-20. Extent-125 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Pandita Parmānanda Sarma, Baladiva, Mathurā. ___Beginning.-श्री वलदेव जी ॥ सेस अवतार शुक सारदा न पामैं पार गामें वेद चारि जाके अंतर अभेव की ॥ पानंद के सिंधु दुष दुन्द के हरनहारे मंगल बढ़ावें सदाप्रेम के मछम की॥ पूरन पुरान पर पूरन प्रताप बढि भने दया कृष्ण करे संतति सा सेव को ॥ साभा के सदन वेद वंदत चरण जाके आनंद अपंड साहै झांकी वलदेव की ॥१॥""""""""षासे षस पास के सुवंगला सुवेस वने पार पास पासे या बषाने लै निहारे झू ॥ मंजुल वितान चारु चमर सुत्र साहैं केवरा गुलाब कुंद केतुकी निवारी जू ॥ मोगरा सुमोतिया को भारी बनी ठोर ठार भनें दया कृष्ण सेाहै सामा सुषकारी जू ॥ फूलन चाहो लाल फूलन की उरमाल फूले फूल बंगला में राजे श्री बिहारी जू ॥६॥ ... ......"राग भैरव ॥ तनक हरि मेरी ओर निहारो ॥ भवसागर को बास कठिन है तुम ही पार उतारा ॥ हम है दीन प्रभु दीनानाथ हाइ तनी चित विचारो॥ दया कृष्ण वलभद्र तुम्हारो मेका वेगि उबारो॥ १॥ श्री वलराम कृपा करि जन कु भवसागर के पार उतारो ॥ माया मोह पास वस कोना सूझत नाहिन दृष्टि कनारो ॥ सागर अगम थाह अति गहरी दोन जानि तुम हृदै विचारो ॥ दया कृष्ण निज दास तुम्हारो वाह पकरि प्रभु मोहि उवारा ॥२॥ End.-रेवती रमन हो प्यारे दरस दै के जिवायोगे ॥ प्रेम भरो मंजु वे वतीयां सुवासन रूप प्यायोगे ॥ रमक भरि नेह को चमकन चिते चित कुं चुरायोगे ॥ भूमि झुकि दृगन की झमकनि वहै मुसकन दिषायोगे ॥ हुमा मुस्ताक दिल मेरा दरस प्याला पिवायोगे ॥ भनें दया कृष्ण सुष सेतो मुजै चरनो लगायोगे ॥ १९ ॥ मिल्या मेहि नंद का लाला घरे पट पीत वन माला साह हग
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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