SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX II 137 अनधन तेरे घुरका ॥ दत्तलाल तेरी कुदरति पर वलिहारी भारा करि रोवै घुरका ॥ ३॥ इति श्री दत्तलाल की वाराषरी संपूरन ॥ श्री रामजू । Subject.-ज्ञान । No. 45 (b). Bāraha Khadi by Dattalālā. SubstanceCountry-made paper. Leaves-12. Size-7" x 5". Lines per page-18. Extent-217 Slokas. Appearance-Very old. Character-Nagari. Date of Manuscript- Samvat 1837. Place of Deposit --Rāma Gõpāla Vaidya, Jahāngirābād, Bulandasahar. Beginning.-राम सिध श्रीगणेशायनमः । कके केवल भक्ति कृष्ण कीजै॥ राम नाम हिरदै धरि लीजै ॥ जा से मुक्ति प्रापति हाई ॥ ओर भरम भूलो मति कोई ॥१॥ षपे पोजे चारो वेद पुराना ॥ तंत न निकस्यो राम समाना ॥ ताकू सुनि विलेहु मन मेरे ॥ सुफल हेाहि सब कारज तेरे ॥२॥ गगे गुरु गोविंद जिनाने गाया ॥ जोनि संकट निकट न पाया ॥ चढे जिहाज उतर गये पारा ॥ जग सै हो गयो वारा न्यारा ॥ ३॥ घघे घरी एक जग में विसरामा ॥ अंतिकता चलना उस गामा ॥ लोग कुटुम कोई साथ न जाई ॥ जाता आपु अकेला भाई ॥ ४॥ नने नारायन को नाम न लीनो ॥ तिन सवु जन्म अकारथ कोनो ॥ अव कहा साचे मुगद गमारा ॥ पावत ना फिरि नर अवतारा ॥ ५॥ चचा चलने कछु चिंता कीजै ॥ राम नाम की घरची लीजै ॥ आगै पंथ विकट है भारी। निवहत ना विन नाम मुरारी ॥ ६॥ छछ छल वता करि संसार ठगा है ॥ जाहि ताहि तू देत दगा है। वाही दिन का डर है भारी । जव जा रोकैगा घठि वारी ॥७॥ जजे जम सै छलवल एक न पावै ॥ पकरेगा जव कौन तुटावै । मुगदर मारे फोरै हाडा ॥ लोग कुटव सव देबै ठाढा ॥ ८॥ End.-हाहा हासिनै कोई नर यादेकहत हू तोहि ॥ प्राजु चलै कालि चल वसै अजहू चलना होय ॥ प्राजु काल होय चलान हमारा करो किरावा धुरि का सोल वहैल सवार भजन तैा गुणी गुणं धुरंधर का धुरिका काम कोध कोई वैल वनायो को प्रवलष की सुरषा। दत्तलाल घर चले विदेशी ॥ पैडा है वाहु घर का ॥३४॥ लला लालन के भये गाये मंगल चारि ॥ घर घर वाजै पानंद वाये रहसि वहसि नर नारि ॥ राहु सिरहसिना नारि समैजु मातु पिता पारे दाई ॥ बरस पाच का भया सयाना तब ते भई सगाई ॥ व्याहि दिया हूया घर नारी ॥ घर को षवर न पाई ॥ दत्त बूढाया पाईया शीसु धुनै पछिताई ॥ ३५॥ जंवू दीप दीप ही कहिये गंगा जमना परिवाहा। भरथषंड मृत्युमंडल मै नरपति मोगुण साहा ॥ दिली हरि याना वीच गुलजारा। जिति ही रहै न हमारा। दया राम कृपा करो मोपै जनम गाडे निरधारा जादो वंस के चरन कमल पद
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy