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________________ 134 APPENDIX II. End.-मानों है नर निदान वीच में कुवेर जाई पायसु सुरेस वर संकर 'सुजाना है। जानों में छिति पर छितोस निसू तेज वह्नि सौरज विवेक पर पास रस सानों हैं । सान्यों हे सनेह यों न नैरिति जु पल तान प्रथी पति नंद कुल चंद सो वषानों हैं । (षानो है ) सुकीरति को राजा श्री पहार सिंह चिंतामनि गीत पर्थ ताजौ अनुमानों हैं ॥ ३८ ॥ संग रस गंगापति नाग कुल धरा सत भूमि नाथ विक्रम को वर्ष गत राजते । चित्रा पति मास में कर छंद चंद्र सनिवार मेचक विरचि तिथि होलिका समाज तें ॥ तामें वुध चिन्तामनि पूरन सुभासा करी मोत अर्थ सूत्रनिका गोविंद से साज है। प्रथ्वी पति नंद कुल चन्द जो पहारसिंह मानि ताय मासु उजायस सुकाज तें ॥ ३८॥ इति श्री गीत गोविंदार्थ सूत्रनिकायां स्वाधीन भतिका प्रीत पोतांवरो नाम द्वादस सर्गः १२ श्री Subject.- ङ्गार । No. 42. Bāņi Dādū jī by Dadū. Substance-Country-made paper. Leaves-18. Size-51" x 4". Lines per page-31. Extent-230 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Sarasvati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya. ___Beginning.-श्रो सोतारामायनमः प्रथम श्री गुरु देव को अंग लिख्यते दादृन्मो नमो निरंजनं नमसकार गुरदेवतः वदनं अव साधव प्रणामं पारंगतः॥१॥ दादूगैव माहि गुरदेव मिल्या पाया हम प्रसाद । मसतक मेरे कर धरण देष्या अगम अगाध ॥ २॥ दादृ सतगुरु सहज में किया वहुत उपकार । निरधन धनवत कर दिया गुर मिलया दातार ॥ ३॥ दादू सतगुर सां सहजे मिल्या लोया कंठ लगाय । दया भई दयान की तव दीपक दिया जगाय ॥ ४॥ दाद देषु दयाल को गुरु देवाइ वाट । ताला कुची लाय करि खोले सभे कपाट ॥ ५॥ दा. सतगुरु अंजन वाहि करि नैन पटल सम खाले ॥ बहरे कान। सुनने लागे गुगे मुख सा वाले ॥ ६॥ दा9 सतगुरु दाता जीव का श्रवन सोस करि नैन ॥ तन मन सैौ जस वारि करि सव मुष रसना और वैन ॥ ७॥ End.-पारती पैसो पारतो त्रिभुवन तारे ॥ तेज पुंज तहा प्राण उतारे ॥ टेक ॥ पाती मंत्र पुहुप करि पूजा ॥ देव निरंजन और न दूजा ॥ तन मन सीस सुमरण कीना ॥ प्रगटे जोत तहां प्रात मलीना ॥२॥ दीपक ग्यान सवद सुनि घंटा ॥ प्रेम पुरुष तहां देव अनंता ॥३॥ प्रेम प्रकास सकल उजियारा ॥ कहे कबीर मैदास तुम्हारा ॥ ४॥ इति पारती संपूर्णम् ॥ श्री रामाय नमः शुभम् ॥ Subject.-पृ० १-११ अंग गुरुदेव के । पृ०१२-१७चंग विनती के। पृ० १७-१८ अंग चेतावनो के। पृ०१९-पारती-कवीरदास कृत ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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