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________________ 128 APPENDIX II. End.--अथ तीस रागिनी नाम ॥ जानि विलावल ललित पुनि और गुजरी नाम || देव गंधारहि कहत पुनि और विभास अभिराम ॥ रामकली टोडी समुझि आसावरी विचित्र ॥ जैतश्री चौरी धनाथी सारंग नट है मित्र ॥ अहे अडाना और सुनि कालिंग रा बुधवंत ॥ षंभायच सु सुहावणी कवि कल्याण कहंत ॥ परम कान्हरा होत है और केर मत मान ॥ वर विहागरौं वरनिये सिंधु सेा गोरी जान ॥ मारू जानि वसंत का सेारठ पंचम नाम ॥ सुभग जंगला होत है काफी आनंद धाम || मालव गौरी समुभियै अवर संकराभर्थ ॥ तीस रागिनी गनत ये जिनके शुभ ग्राचर्ण ॥ Subject. — भिन्न भिन्न विषयों के विविध नाम व प्रकार । No. 38(a). Amaraloka Akhanda-dhāma by Charana Dāsa. Substance- Country-made paper. Leaves – 14. Size 6"x6". Lines per page-12. Extent-165 Ślōkas. Appearance-Old. Character—Nagari. Place of Deposit - Saras - vati Bhandāra, Lakshmana Kota Ayodhya. Beginning.. - अथ अमरलोक अखंड धाम वर्नते ॥ दाहा ॥| परिणाम श्री सुषदेव कुं से हैं गुरू दयाल ॥ काम कोध मेाह लाभ से काटे मेरे साल ॥ १ ॥ बानी विमल प्रगास दी बुधि निर्मल की तात ॥ माहि मूरष प्रज्ञान कू नहीं पावत ही बात || अमर लोक वर्नन करूं वे ही करें सहाय दिष्ट हिये मम खाल कर सब ही देह दिषाय ॥ ३ ॥ भेद लिया गुर देव सं अद्भुत रचू गिरंध ॥ साषी वेद पुरान मैं जानी सुनिया संत ॥ ४ ॥ चैापाई ॥ भेद अगोचर कोई कोई जानै ॥ गुरु दिषावै तेा पहिचानै ॥ पता कहैं कछु वेद पुराना ॥ ज्येां का त्यों उनहूं न वषाना ॥ कछु कछु मत मारग हू भाषै ॥ फिरि भूलें सम नहिं साबै ॥ हरि किरपा मैं परगट गाया | किया उजागर बोल सुनाया ॥ ५ ॥ महा कठिन दुरनभ हुता अमर लोक का भेद || ताका मैं बीजक किये। भाषा भेद प्रभेद ॥ ६ ॥ निराकार तो ब्रह्म है माया है प्राकार || दोनो पद का लिये || भैसा पुरुष निहार ॥ ७ ॥ End. - तुमरी भक्ति न छाड़हूं तन मन सिर क्यों न जाव ॥ तुम साहिब मैं दास हूं भला बन्यो है दांव ॥ सुषदेव गुरु किरपा करी मूरष भयो प्रवीन ॥ मम मस्त पर कर घर जान निपट प्राधीन ॥ ४२ ॥ कोट नांव को फल लहै तिरवेनी अस्नान || सोभा गावै लाक की मूरष होय सुजान ॥ ५० ॥ पढ़ें सुनै जो प्रीति से पावै भक्ति हुलास ॥ नित उठ कर तू पाठ यह चरनदास कही भास ॥ ५१ ॥ प्रेम बढ़ सब हरें कलह कलपना जाय || पाठ करै या लोक को ध्यान करत दरसाय ॥ ५२ ॥ इति श्री अमरलोक निज धाम निज प्रस्थान परसेात्तम परुष विराज
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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