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APPENDIX II.
No. 36. Hitopadēka' by Chanda. Substance-Country. made paper. Leaves -66. Size-7" x 3". Lines per page-13. Extent-2002 Slokas. Appearance-Very old. CharacterNagari. Date of Composition-Samvat 1563. Date of Manuscript-Samvat 1666. Place of deposit-Found at the All-India Hindi Sāhitya Sammēlana exhibition, Indaura. Belonged to Kavi-ratna Satya-Nārāyaṇa Śarmā, Āgarā.
Beginning.-श्री बीतरागायनमः ॥ जेहि के वल वसुधा रहति ॥ गगन रहत जेहि खंभ ॥ तेहि जिन कंह परनाम करि करउँ पुस्तकारम्भ ॥१॥ सर्वा रिष्टाप्रमाघा या सर्वाभीष्टार्थ कारिनो ॥ सर्वलब्धि निधानाय गौतम स्वामिने नमः॥१॥ हित उपदेस लिष्यते ॥ प्रनवउ गणेस गुग्णय गुनराजा ॥ जेहि सवरत सिधि होयहू काजा॥ सेंदुर वदन मदन अरविंदु ॥ फनि मणि कंठ वसै सिर इंदु ॥ विघ्न हरन सिधि वुधि दातारा ॥ लंबोदर पातक षय कारा ॥ उंदुर वाहन फरसा हाथा ॥ एक दंत प्रनवा गन नाथा ॥ दोहा ॥ तुय प्रसाद कवि उटवंउ ॥ कवहि न लागत पारि ॥ चांद चतुर मन लावा ॥ विनती दुहु कर जोरि ॥१॥ सवरउ (सुमिरउं) सारद जेहि हो ग्याना ॥ पहिरे सुच वस्त्र परिधाना ॥ जेहि मम रत मति वाढहुभाई ॥ जेहि सबरत (सुमिरत ) सब दोष नसाई ॥ जेहि सबरत चित होइ उदासा (हुलासा)॥ जेहि सबरत पूजहु सब पासा ॥दोहा॥ जेहि सवरत सदा सुष दिन दिन मति परगास ॥ चांद चतुर वर मांगहू जन्म जन्म तुम दास ॥२॥ प्रनमा दुर्गा दाखव दरनी ॥ तिनि लोका पातक षय करनी ॥ प्रणवंउ ब्रह्म विष्णु सिव ग्याना ॥ रवि ससि ग्रह नषत्त परवाना ॥ दाहा ॥ प्रणवंत देव नाग सव ॥ तीर्थ दिसा समेत ॥ प्रणवंउ पवन अनल जल साधक सिद्ध अनेक ॥ विणवउ कवि कंकण हवि वन्ता ॥ जे नाटक कवि किन्ह अनंता । वालमीक विधनहु अवतारा॥ रामायन जेन्ह कीन्ह पसारा ॥ भएउ व्यास जेन्ह तन्थहि जाना ॥ प्रष्टादस जिहुं कोन्ह पुराना ॥ भा जयदेव भक्त के चीन्हा । भक्ति भाव सेाभा हरि लीन्हा॥ कालिदास कवि डिडिव भयउ ॥ श्री हरष भारवि भय गयउ ॥ वररुचि माहि भयउ पहीला ॥ कोटिन्ह कवि कलिजुग मह मीला ॥ तेन्ह सबन्ह कहं चांद जोहारा ॥ हम केहेउ करहु उपकारा ॥ उह पंडित सब कला असेसा ॥ मंदु मति हीन देहु उपदेसा ॥ दोहा ॥ कहु न हाउं कवि जन सम ॥ देषहु मनह विचारि॥ टूट बाढ़ जत पर तत सव लिहेहु सवारि ॥४॥
(इसके बाद ही निर्माण काल के पद हैं) . End, चला गोधराजहि जोहराई ॥ हेम षेम कहु कीन्ह भलाई ॥ चकवा कह लीन्हे निज साथा ॥ चित्रवर्स कह नावहु माथा ॥ चकवा कह लेइ गीध