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________________ 124 APPENDIX II. Beginning. -अथ गोस्वामी श्री हरिवंश चंद्र जू को छप्पै श्री भक्तमाल मैं नामा जू कृत है ताकी टीका सहित लिप्यते ॥ मूल छप्पै ॥ श्री हरिवंश गुसाई मजन की रीति सकत कोऊ जानि है॥ श्री राधा चरन प्रधान हृदै पति सुदृढ़ उपासी ॥ कुंज केलि दंपति तहां की करत षवासी ॥ सर्वसु महाप्रसाद प्रसिद्धि ताके अधिकारी ॥ विधि निषेध नहिं दास पनन्य उत्कट व्रतधारी ॥ श्री व्यास सुवन पथ अनुसरै साई भलै पहिचानि है ॥ श्री हरिवंश गुसाई भजन को रीति सकत कोऊ जानि है ॥१॥ इति छप्पै ॥ पथ टोका लिष्यते ॥ कवित्त ॥ सकत मजन रीति भाषी अति गृढ़ ए जु काऊ एक विरली पसंध्यनु मैं जानि है ॥ भोत रो जौ महाभाव रस को अगाध सिंधु विना वोध भये ताकी कवि को वषानि है॥ दंपति हिये को लाल उरझ्या है मन जाइ रमै वाहि षेल जहां रूप रस षांनि है। लाष लाष वार वृा कहेंगा अभेदी कहा वा घर की पारी हू न जाको पहिचानि है॥१॥ End.-कवित्त ॥ सकत रोति भजनो को दुर्लभता दिषाई है राधा पद प्रधानताई ताहू ते भारी है ॥ सुदृढ़ उपासनां चलै न कहूं चित की विर्ति कुंज की षवासी देह सिद्ध मैं निहारी है ॥ सर्वसु प्रसाद भक्ति कही सव अंग पूरी मादर सौ सेवत नित याते अधिकारी है ॥ वेद प्रो निषेध शड़ि इष्ट भजे दासि भाव व्यास सुवन पथ रीति काहूं जु विचारी है ॥ १४॥ इति श्री गोस्वामि श्री हरिवंश चंद्र जू को छप्पै श्री नाभादास जू कृत ताको टोका वृदावन दास जो कृत संपूर्ण ॥ Subject.-टोका-छप्पय-हरिवंश जु के-(प्रशंसा विषयक)। No. 34 (n). Pada by Brindavana Dasa. Substance-Country-made paper. Leaves-3. Size-8" x 61". Lines per page -19. Extent-65 Slokas. Appearanco-old. Character - Nagari. Place of Doposit-Lala Nanhaka Chanda, Mathura. ___Beginning.-राग रामकली ॥ प्रभु इछ्या जु आधी चली ॥ लै तिनका ज्यों उड़ाये स्वामि मायावली ॥१॥ एंगरनि मैं वास दोनों छुटाई वन थली ॥ कहां वे तरवर विहंगम तीर दिन मणि लत्नी ॥ २॥ कान कारन का विसर वज राज सुत सुनि छली ॥ यह विचारत गति दिन हिय रहति है कलमली ॥३॥ छिमै अव अपराध भारी मांनि विनती भलो ॥ दरसावा ब्रज भूमि वंदो स्याम तो पद तली ॥ ४॥ कौन छिन को घरी धनि जव विचरिहों वन गली ॥ कवहि रसिक समाज की हाइ दृष्टि पथ अवली ॥ ५॥ कंश मागध सैन जैसे प्रथम ही दलमली ॥ विघ्न करतनि टारि है। अव अहो प्रनिनि पली ॥ ६॥ कई ऊपर कोस सत राज्यो जु मति बदली ॥ देषि प्रभुता डरसी बुद्धि अधीर है कै हली ॥ ७ ॥ रब्यो कैौतिक खेल हरि हम भाग महिमा फलो ॥ वाकरू पालक भये कब नीति
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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