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APPENDIX II.
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No. 34 (1). Sri Brishabhānu-suyasa Pachisi by Brindavana Dasa. Substance - Country-made paper. Leaves-14. Size-8 x 61 inches. Lines per page-19. Extent416 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Place of Deposit-Lālā Nānhaka Chanda, Mathurā.
Beginning -प्रथ श्री वषभान सुजस पचीसी पदवंध लिष्यते ॥ राग भैरौं। झपताल ॥ गावो रावलि महीप मही मानवंश दोप करि प्रतीति चरन प्रीति भक्ति सुध न लहि रे ॥ राधा तात गौर गात गेोधन पाल अति दयाल पालस तजि मातुर भजि सरनि वेगि गहिरे॥१॥ कीरति पति दोननि गति को उदार पैसा प्रति पारि जाचि प्रेम नाचि निर्भय नित रहि रे॥ अति प्रताप करि अलाप जाको मुनि करत जाप मंगल को मूल वदन प्रात उठि जु चहि रे ॥ धर्म धीर गुन गंभीर प्रनित जननि हरन पीर वसि सुधाम सुमिरि नाम दुरित जाहि दहि रे॥ वलि वलि वृदावन हित रूप वलो दूध पलो लली भली जाके ग्रेह दासि को उमहि रे ॥३॥१॥
End.-राग सारठ ॥ वृषभान गोप धनि करनी रे । जाके भूर भाग्य की महिमा शिव विरंचि मुनि वरनों रे ॥१॥ श्री राधा सर्वस्वरि जा घर पय पोवन अवतरनो रे। आगम निगम पुरान परै सुष दाइक चंपक वरनों रे ॥२॥षेलति पारिकृष्ण अहिलादनि नोल वसन तन धरनी रे। जप तप ग्यान ध्यान अति दुर्लभ रस लीला मन हरनों रे ॥ ३॥ जाकी कृपा दृष्टि चाहत सव अनुरागिनु दिस टरनों रे । वांछित दासि सक्ति सव जा कुल सकल मनोरथ भरनी रे ॥ ४॥ पुर परजा सव प्रेम पलति गारंग लाड विस्तरनो रे। सेश शारदा कविनु गिरा छवि परसति नहों मन डरनों रे ॥५॥ लोक मुकट मणिराव लिपति निधि सिद्धि चरन अनुसरनो रे। मुक्ति मुक्ति हू चाहति जाकै पारि मलि के परनी रे ॥६॥ प्रेम विके मुरली धर जहां कहा प्रभुता और उचरनों रे । वृंदावन हित रूप निगम गथ लह्यो धर्धान कीरति धरनी रे ॥ ७॥ २५ ॥ इति श्री वृषभानु सुजस पचीसी पदवंध वृदावन दास जो कृत संपूर्ण ॥
Subject.-वृषभानु पौर राधिका का यश वर्णन ।
No. 34 (m). Tika Chhappaya Nabha Dasa krita sri Harivansa chandra ji ke by Brindavana Dasa. SubstanceCountry-made paper. Leaves-3. Size-8x61 inches. Lines per page-19. Extent-90 Slokas. Appearance-old. Charactor- Nāgari. Place of Deposit- Lālā Nānhaka Chanda, Mathura.