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________________ 120 APPENDIX II. कियौ कुमतिनु प्रगति निवास || वृंदावन हित रूप वलि भवतारक हरि के दास ॥ १३ ॥ २५ ॥ इति श्री इष्ट भजन पचीसी पद वंध वृंदावन दास जी कृत संपूर्ण ॥ २ ॥ Subject. — भक्ति और ज्ञान के पद । No. 34 (i). Jaga-nirvēda Pachisi by Brindavana Dāsa. Substance- Country-made paper. Leaves-12. Size-8 x 64 inches. Lines per page-19. Extent—356 Ślokas. Appearance-old. Character--Nagari. Place of DepositLala Nanhaka Chanda, Mathurā. जल Beginning.—ग्रथ श्री जग निर्वेद पचीसी पद वंध लिष्यते ॥ राग विहागरौ ॥ श्री हरिवंश प्रथम, प्रादारे रे || हरि गुर साधु वंदि मन क्रम वच सहजहि भव निधि तरि रे ॥ १ ॥ औसर गनत गनत तनु गिरि है वेगि विचारहि करि रे ॥ सव दै कैं पीठि राधिका पति की सरनी परि रे ॥ २ ॥ | ज्यां ang निवांन भैया यौं प्रभु को ओरी टरि रे ॥ पांच सोच मैं जनमु जातु है सत्य वचन चित धरि रे ॥ ३ ॥ हे ह ऊजरौ सत संगति मिलि पाप कीच जिनि भरि रे ॥ हरि विनु कनु पछिको करता जम से अरि स डरि रे ॥ ४ ॥ चरितामृत करि पान जुगल, संतान को सरनि विचरि रे ॥ इहि विधि है है सीतल पव जिनि जग दावानल जरि रे ॥ ५ ॥ छाडि वृथा आलाप राधिका वल्लभ नाम उचरि रे || तन तरवर तें पात पुराने पातिक जैहैं झरिरे ॥ ६ ॥ चालस है हैं हानि चेति प्रातुर है कहि हरि हरि रे । वृंदावन हित रूप समृद्धि मन या वत ते जिनि टरि रे ॥ ७ ॥ End.—विहागरै ॥ जाति है पूंजी बायु घटी || टोटा वडा रहि गया यह मति हरि चरननि न जटी ॥ १ ॥ प्रभुसौं वदनि वदी साई करि विसरै जिनि कपटी ॥ ह्वां सिर हनि है मुदिगर ह्यां सहि सकतु न फूल छटो ॥ २ ॥ गहि गुर सरनि साधु संग करि ज्यों बुधि जाइ पलटी ॥ प्रेरि कृष्ण के सनमुष पछि ल पाइ नु जाति हटी ॥ ३ ॥ हरि की ओर चलत हों माया नाचति है न कटी ॥ कौतिक वहुत दिपाइ जो मोहति सव विधि सुघर नटी ॥ ४ ॥ समझत हरि के संत मोतरी याको सव जुगटी ॥ को यार्क दत धाप्यो रज तम सव को दृष्टि अटो ॥ ५ ॥ जा भागात धर्म सांचा तातें लजि कैं उलटी ॥ याके पंद फस्यैौ हरि तजि तिनि जुग जुग धूरि चटो ॥ ६ ॥ मेार मुकट पीतंवर मुरलीधर लोला न डी ॥ ता कहा जीये कुपसु जेवरी छार ही धान वटो ॥ ७ ॥ जग निर्वेद पचीसी सुनि ग्रव गहि रविजा जु तटी । वृंदावन हित रूप सत्य हरि नाम लगाइ
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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