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________________ 116 APPENDIX II. भई उतपन्य ॥१२८ ॥ ठारह सै पर तीस पुनि वरष जु प्रगहन मास ॥ कृष्ण पक्षि एकादसी वेली भई प्रकास ॥१२९ ॥ यहां गांऊ ध्यांऊ जु यह याही सुष की पास ॥ गोर स्यांम हित रूप पै वलि वृदावन दास ॥१३॥ कांमा मधि पूरन भई विमल कुंड के तीर । केलिदास मन दै लिषी प्रक्षर अर्थ गंभीर ॥ १३१ ॥ इति श्री आनंद वदन वेली वृंदावन दास जी कृत संपूर्ण ॥ Subjeot.-राधाकृष्ण का वर्णन तथा भक्ति के पद । No. 34 (e). Nauma Samaya-prabandha-sankhalā Pachisi by Brindavana Dasa. Substance-Country-made paper. Leaves-56. Size-8 x 61 inches. Lines per page-- 19. Extent--1.662 Slokas. Appoarance-old. CharacterNagari. Date of Composition-Samvat 1830. Place of Deposit-Lālā Nānhaka Chanda, Mathurā. Beginning.-अथ श्री नाम समय प्रवध पद वंध संपला पचीसी सात लिष्यते ॥ प्रथम मंगल समय प्रताप पचीसी पद वंध लिष्यते ॥ राग भैरों ॥ ताल चर्चरी ॥ रसिक मणि चक्क वै वंदिये भार मल ॥ कृपा अवधि अरु अवधिरस दान मैं रे सुमति नर समझि वेगि परि चरन तल ॥१॥ परचि हैं राधिका लाल इन सरनि ते व्यासकुल सुधाधर पौषि करै उर अमल ॥ गाइ रे गाइ गारंग कमनी चरित तोहि अपनाइ हैं दया तिनके सवल ॥२॥ मानुषी जनम का लाभ लहि कहि सुजस पार है वासकानन महारम्य थल ॥ वृंदावन हित रूप भीजि रस भजन मैं निगम दुर्लभ वदित पाई है सा जु फल्ल ॥३॥१॥ भैरै भौताली ॥ सुरति रन कोविद दुलहिनि जगी निस पल न मुरी है ॥ रस लोभी दूलह उर अवहों कैन अनूपम काम गाभ अंकुरी है ॥ नव संगम भय भोर विदा करो विद्या का कहु हूं उरनि फुरी है ॥ वृंदावन हित रूप पहा कहा मन मिलि विहरत ग्रंथि जु प्रेम छुरी है ॥२॥ End.-राग विहागरी॥ रंग महल पाढे हैं रो दंपति तद्दपि दरसत प्रेमवली है ॥ उरझनि प्रेम कहा कही अंग अंग मन उत्कंठा वढति चली है ॥ रहि गये चिवुक प्रलोवत इत उत भये री नींद वम छवि जु भली है ॥ वृदावन हित रूप परस्पर प्रति विंवित तन दुति उझली है ॥ २५॥ इति श्री सैन समय सज्या विहार पचीसी पद वंध संपूर्ण ॥७॥ १७५ ॥ दोहा॥ सात पचीसी पद लिषे समये सात प्रधान ॥ मंगल ते लग सैन लो कियो विचित्र वषांन ॥१॥ ठारह से तीसा विदित नौमी माघ पुनीत ॥ गुरवार पुनि कृष्ण पछि कवि जुगल रस रीति ॥२॥ पति सै कमनी कामवन मुमति नरनि को वास ॥ श्री राधा जू सदन मधि भयो प्रबंध प्रकास ॥३॥ सुमति जथा वन्यों जु मैं श्री हरिवंश प्रसाद.॥ वृदावन हित
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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