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________________ 114 APPENDIX II. - हैं। तु धोरज धरौं प्रिया तवहीं जवहि वदन विहसौ कृपा दृष्टि करि हेरनी ॥२॥ मोहनी मंत्र सो हसनि को वसनि मैं बुद्धि मोच लै ता और ते घेरनी॥पष्ट पुनि जाम मोह जु यह रट लगी सुविधि रसनां सुनामावली टेरनी ॥३॥ अमृत मय अचूजमय वन्यों वपु गवरो रेल जस रस कढ़ी मो मति सकेरनों ॥ वृदावन हित रूप गुननि कर नागरी लोक उपमा जिती सवै निरवेरनी॥४॥१॥ __End.-प्रीति सदा उर मैं वसै प्रीतमु प्रागै नेन ॥ तदपि दुहुंनि के रूप की वरनि सकत नहिं वैन ॥ पर पूरन अरु सुद्ध अति परम मलेकिक जांनि ॥ जैसी प्रीति जु दुहुंनि उर वसति सदा वलमांन ॥ ५॥ तदपि करति है घावरी रहत निरंतर पास ॥ चाह बढ़ति हैं चाह के ज्यों जल कों जल प्यास ॥६॥ प्रीति रचति कौतिक अधिक नित उर रहति प्रकास ॥ परसुन तिमर वियोग को नित नव रास विलास ॥७॥ जगत विकारो प्रीति है कारन सै मिटि जाइ ॥ निर्विकार यह एक रस वाढति सहज सुभाई ॥ ८॥ इहि विधि दंपति प्रीति हित समझि जु सेवै कोइ ॥ वृंदावन हित सुमति नर दास तांसु घर होइ॥९॥ जुगल प्रीति अपने जु मुष वरनी मन औसेर ॥ मति प्रमान कवि कहत ज्यों तालिन सकत सुमेर ॥ १० ॥ ठारह सै उनतीस यां वर्ष जु फागुन मास ॥ सातै सुदि पूरन करी दंपति प्रीति प्रकास ॥११॥ प्रीति पारष जुगल हैं तिन पद राखौ प्रोति ॥ वृदावन हित रूप को यह उपासना रोति ॥१२॥ इति श्री जुगल प्रीति प्रकास पचोसी वृदावन दास जी कृत संपूर्ण ॥ Subject.-राधा और कृष्ण का परस्पर प्रेम वर्णन । No. 34 (c). Śrī Krishna Sumiraņa Pachisi by Brindā. vana Dasa. Substance-Country-made paper. Leaves-12. Size-8 x 62 inches. Lines per page-19. Extent_366 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Date of composition-Samvat 1830. Place of Deposit-Lala Nanhaka Chanda, Mathurā. ___Beginning.-अथ श्री कृष्ण सुमिरन पचीसी पदवंध लिष्यते ॥ राग विहागरी ॥ मोहि वल श्री हरिवंश चरन हैं | जिहिं प्रसाद श्री राधा वहम मन प्रमिलाष भरन हैं ॥१॥ पाऊं सुमति सुजस नित गाऊं जगमंगल जु करन हैं। पति मृदु सीतल सुभग प्रफुल्लित अंबुज कनक वरन हैं ॥२ जिनतें अभय प्रणित जन पावै भवनिधि सहज तरन हैं। भृम श्रम तम संताप हिये को नष चंद्रका हरन है॥३॥ जो दुराधि सव साधन करि सा प्रापति होत सरन हैं ॥ तरु वसंत ज्यों फूलत लागत पातक पात झुरन हैं॥४॥ सादर वंदि वचन मन कम करि जन लज्या जुधरन ॥ वंदावन हित रूप कृपा दीननि को पार टरन हैं ॥५॥१॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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