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APPENDIX II.
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तुतरात || पुत्र हित हरषे महां चानंद उर न समात ॥ का सक्क मुहि दोन की ॥ जो कर सकै वषान ॥ निज लीला वरनन करी से मुष से भगवान ॥ संवत सतारां भये चार अधिक चालीस || मार्ग शोर्ष (ए) कादसी कोये बुद्धवार रजनीस || दक्षिण देस पुनीत से पूरन भयेा पुरान ॥ जो हित सां गावें सुनें पावें पद निरवांन ॥ इति श्री भागवते महापुराणे दशम स्कंधे श्री कृष्ण वर्णनेा नाम नवतितमोध्यायः ॥ ९० ॥ शुभम् ॥ राम ॥
Subject.- भागवत दशम स्कंध की कथा ।
No. 26 (b). Bhāgavata Daśama Skandha by Bhūpati. Substance—Country-mado paper. Loaves – 110 Size - 82 x 62 inches. Lines per page -- 16. Extent - 2,750 Ślokas. Appearance- -Very old. Character—Nagarī. Place of DepositPaṇḍita Chandra Sēna Pujārī, Khurjā, Bulandasahar,
Beginning—श्री गणेशायनमः ॥ सरस्वती नमः श्री कृष्णायनमः श्री भगवती नमः राम ॥ सुमिरु यदि निरंजन देवा ॥ जाको देव न जानत भेवा ॥ जोति रूप भगवान विधाता । प्रकृति पुरुष प्रानन के दाता ॥ कमल नाभि नारायणि स्वामी । सुधी सुजीवन के अंतरजामी ॥ ऋषिल ईस जगदीस गुसाई । जल थल मैं व्यापक सबु ठाई ॥ सनकादीक रोष नारद ग्याता । जाको ध्यान धरे दोन राता ॥ ता से विरंचि नित ध्यावै । ध्यानहु मैं नहीं दरसन पावै ॥ भेष प्रनेक घरे जुग माही ॥ जो जल में दोनकर को क्षाहो ॥ हे सबु में ओरु सबु से न्यारा ॥ सकल सिटी को सीरजनहारा ॥
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३ रा पृष्ठ - प्रथमाध्याय । गुसांई सुषदेव राजा परीक्षत सेा कहैत है ॥ दसम स्कंध कथा जदुवंस कि औरु देवको रोहनि गर्भ वर्णनं ॥ नवम स्कंध सुनै जव राजा ॥ वैठे सुनन दसम के काजा ॥ करी प्रनाम वो अमृत वानो ॥ सुनो गुसाइ परम विज्ञानी || वाहा राजन कि कथा सुनाइ । तेसकु मेरे मन में प्राइ ॥ जादा वंस को कथा सुनावों ॥ अधिक क्षुधा में सुधा पिवावेा ॥ जहा प्रगटे श्री किस्न मुरारी ॥ स्याम सुजान संत हितकारी ॥ हास विलास रास जिनी किने ॥ दासन कु हुलास वाहो दिने ॥
Subject. — भागवत दशम स्कंध का हिंदी भाषान्तर ।
No. 27. Bhagavad-Gita by Bhuvala. Substance-Countrymade paper. Leaves-64. Size-8 x 52 inches. Lines per page-17. Extent—1,225 Ślokas. Appearance-old. Character—Nāgari. Date of Composition-Samvat 1700.