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इतहास हुआ है । सा दूं सुणु ॥ हे राम जी । इस पृथवी ऊपर एक कोसला नाम देस है सेा कैसा देश है | जो रत्नो करि कै पूरण है । जैसे सुमेर पर्वत कलप वृछ सांपूर है ॥ तैसे उह रतनों करि कै पूरण है | रतन क्या कहीयै ॥ जात जात विषे जो उत्तम पदार्थ हैं | तिसका नाम रतन है ॥ सं "तम पदार्थ तिस देस विषे पाही थे । तिस देस विषे एक गाधि नामा ब्राह्मण होता भया । सा कैसा था || वेद विद्या विषे प्रवीन ॥ माना वेद को मूरत था ॥ ग्रह वैराग्य प्रादि करि कै संपंनसेाभता भया । जैसे प्रकासं करि कै भुवन लाभता है ॥ तैसे सेाभता था ॥
APPENDIX II.
End.. - जब तू अपणे विषे इस्थत हावैगा ॥ तब जायेगा जो मेरे विषे ग्रहं फुरणा भी नहीं । अरु आत्म रूप सूरज के साक्षात कोये तं । दृश्य रूप अंधकार का प्रभाव हावैगा ॥ सेा आत्मा तेरा आपण आप है । केवल शांत रूप है अरु निर्मल है | जैसे गंभीर समुद्र वाइ ते रहित होत है ॥ तैसे ग्रात्म रूप समुद्र संकलप रूप वाइ ते रहित गंभीर सुध होत है ॥ ग्ररु इह संसार चित्त का चमतकार है ॥ सेा चित्त निरयंस है | जिस विषे अंस अंसी भाव नहीं जु अद्वैत है ॥ राम जी वाघ विषे इस्थित होवेगा तब इस विस्व को भी आत्म रूप ही देषेगा || अरु वध तं न देषेगा | तब विस्व भान होवेगी ॥ ताते हे राम जी वाघ विषे इस्थित होवे | वोध कहीयै ज्ञान स्वरूप आत्मा विषै इस्थत होवे ॥ इति ब्रह्म एकता प्रतिपादन नाम सर्गः ॥
Subject. - येगवशिष्ठ भाषा-उपशम और निर्वाण ।
No. 22 (b). Mahā Rāmāyana ( Yoga Vasishtha) Utpatti Prakarana by Bhagavan Dasa Khattrī. Substance-Countrymade paper. Leaves-377. Size - 5 x 6 inches. Lines per page-15. Extent-6,000 Ślokas. Appearance-old. Character—Nāgari. Dato of Manuscript – Samvat 1879. Place of Deposit - Purushottama I āsa Bisrāma Ghata, Mathurā.
Beginning - श्री गणेशायनमः ॥ अथेो उत्पति प्रकरण लिख्यते ॥ श्री वशिष्ठोवाच हे राम जी ब्रह्म और ब्रह्मवित यह सव सवद ब्रह्मसता के आसरे पड़े फुरते हैं। ओरु तु इदं इत्यादिक सर्व शब्द ग्रात्मशता के आश्रय पड़े फुरते हैं ॥ जैसे सुप्रै विषे शब्द होते है सा सभ अनुभव सता विषे होते है ॥ तैसै यह भो जाण ॥ और अवर जोतिसि विषै विकल्प होते है | जो जगत क्या है | और कैसे उत्पति हुआ है और किसिकौ है इत्यादिक विकल्प है ॥ सेा लोग चुंच है ॥ राम जी यह सब जगत ब्रह्म रूप है ॥ ईहा स्वप्न का दृष्टांत विचार लेवण प्रथम जो मोक्ष प्रकरण तुझ को कहा है अव उत्पति प्रकरण] कहता है ॥
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