________________
APPENDIX II. .
97 नाम संपून ॥ जद्दपि मरि गरि सरि गऐ इककेहरि गुरु सेस ॥ तऊन छाडै दुष्टता वे कांटे वे केस ॥१॥ सजनषिझत रवि मेष सम कुसम रंगत दुम पात ॥ कहा सिथिलता हेम को हरे पात जरि जात ॥ २॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री। Subjeot:-हितोपदेश का अनुवाद ।
पू०१-प्रार्थना गणेश और सरस्वती। पृ०२-राज स्तुति । पृ०३-कवि परिचय, कथारम्भ । पृ०४४-मित्र लाभ। पृ०८४-सुहद भेद। पृ० १२६-विग्रह विधान ।
पृ० १५१-संधि कथा । उहाहरण मित्र लाभ-इक मूषक है वर मित्र हमारी ॥ जिनको हरि नेक सुनाम उचारौ ॥ इक काननि मैत्रिक नामु कहावै ॥ तिहि वास विलासन मै छवि छावै ॥ वहु प्रीतम प्रीति पुरातम नोकौ ॥ अति पीरक वात अनी अवनी कौ ॥ सुनि कै सेवके हरि है दुष भाजै ॥ नहि लाइक यो विय दोजियै दाजै ॥ उदा० सुहृद भेद ॥ विना वुलाये जात जे कहै अबूझै वैन ॥ तिनके उर अपिमान को नगरु वसै सुष चैन ॥ ९३ ॥ नवल सचिव वनरायू के हसि है वाहि निहार ॥ निंदा करिहैं जानि यह पाऐ विनु मनुहारि ॥९४॥ उदा० विग्रह विधान ॥ नादहि रस भोगी प्रेम वियोगी है। न प्रजो तेहि जान्यो ॥ गाउत है। नीको तान धनी को तो लगि का न गान्यौ ॥ ४९ ॥ विद्या गंधर्वां हैंकरि अरवो वहुतक गुनह हराऊं ॥ सुर जान निवारी मिल्यो न प्यारौ यह मुष जाहि सुनाऊं ॥ उदा० संधि कथा ॥ तू श्रम किया अपार, धन्य बलाका पुन्य पन ॥ पल्या मीन परिवार, तोहि असीसहि सर्वदा॥
No. 21. Rasa śpingāra Samudra by Bāņi Prasāda. Substance-Country-made paper. Leaves--45. Size-91 x 5 inches. Lines per page-19. Extent-1336 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Date of composition-Samvat 1755. Date of manuscript-Samvat 1863. Place of Deposit- B. Purushottama Dasa, Bisrāma Ghata, Mathurā. ___Beginning.-श्री राम जी ॥ श्री महागणाधिपतये नमः ॥ अथ वेणीप्रसाद कत नायका भेद रस शृंगार समुद्र ग्रंथ लिषते ॥ दोहा ॥ कहत नायका नायकहि कवि करि सुनति उद्योत ॥ पालंबन श्रृंगार के दुह परसपर होत ॥१॥ प्रथ