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________________ APPENDIX II. 96 पचार सिंधु मथा है। चाथा वेद दरवान जाग जामै दरव के षट भेद करम उछेद सरवथा है॥६॥ End.-अथ ब्रह्म लोक वर्णनं ॥ चौपाई ॥ और उकति मेरे मन पावै। साची वात सवन की भावै ॥ ब्रह्मा ब्रह्मलोक की वासी । से विरतंत कहीं परगासी ॥४७॥ कुंडलिया। उपरि सव सुर लोक के ब्रह्मलोक अभिराम । सेा सरवारथ सिद्धि तसु पंचानुत्तर नाम ॥ पंचानुत्तर नाम धाम पका अवतारी। तहं पूरव भव वसे ऋषभ जिन समकित धारी ॥ ब्रह्मलोक सै चये भये ब्रह्मा इहि भू पर । ताते लोक कहान देव ब्रह्मा सव उपर॥ ४८ ॥ चौपाई॥ पादीसुर जुगादि । सिवगामी तीन लोक जन अंतर जामि ॥ ऋषभदेव ब्रह्मा जग साषी। जिन सव जैन धर्म विधि भाषी ॥४९॥ रिषभदेव के अगनित नाऊं कहीं कहां लों पार न पाऊं वे अगाध मेरी मति होनी ताते कथा समापत कोनी ॥ ५० ॥ छप्पै ॥ इहि विधि ब्रह्म भए रिषभदेवाधि देव मुनि । रूप चतुर्मख धरि करी जिन प्रगट वेद धुनि ॥ तिन्हके नाम अनंत ग्यान गरभित गुण गुझे। मै तेते वरनष प्ररथ जिन्ह जिन्ह के वुझे ॥ यह शब्द ब्रह्म सागर अगम परम ब्रह्म गुन जल सहित । किम लहै वनारसि पार पद नर विवेक भुज वल रहित ॥५१॥ इति श्री वेद निर्नय पंचासिका वनारसिदास कृत समाप्तम् ॥ Subjeot.-जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की जन्म कथा तथा गुण वर्णन और जैनियों के मतानुसार चारों वेदों का सूक्ष्म परिचय। No. 19 (d). Mārga nā Vidhāna by Banārasi Dāsa. Substance--Country-mado paper. Leaves-3. Size-52 x 5 inches. Lines per page-14. Extent-38 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Place of Deposit-Rama Gopāla Vaidya, Jahāngiābād, Bulandabahar. ____Beginning.-अथ मारगना विधान लिष्यते ॥ दोहरा ॥ वदों देव जुगादि जिन सुमिर सगुरु मुष भाष । चौदह मारग ना कहीं वरनों वासठि साष ॥ १ चौपई ॥ संयम भव्य प्रहार कषाय । दरसन ग्यान जोग गति काय ॥ लेस्या सम कित सैनी वेद । इंद्री सहित चतुर्दसभेद ॥२॥ ए चौदह मारग ना सार इनके वासठि भेद उदार ॥ वासठि संसारी जिय भाउ । इनहि उलधि होइ सिवराउ॥३॥ ___End -पिपीलकादिक इंद्री तीनि । चौरिंद्री जिय भ्रमरादीनि ॥ पंचेद्री देवादिक देह । सव वासठि मारगना पह ॥ २६ ॥ जावत जिय मारगना रूप । तावत काल वसै भव कूप ॥ जव मारगना मूल उछेद । तव जिय पापै आप अभेव ॥ २७ ॥ दोहरा ॥ प वासठ विधि जीउ के तन संबंधी भाउ । तजि तन बुद्धि वनारसी कीजै मोष उपाउ ॥ २८ ॥ इति वासठि मार्गना विधान समाप्तम् ॥. Subject.--जैन मत के अनुसार जीव के बासठ मार्ग विधान ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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