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________________ APPENDIX II. लोयणा ज्यों चंद गहल्ला ॥ ४॥ जिन्हा नहि इतवार सौ गुरु वचन न झल्ला ॥ तिन्हां आगै कथनी ज्या को दुदल्ला। वरसै पाहन भूम्मि मै नहि हाइ चहला वाप वीज न उपजै जल जाइ वहल्ला ॥ चेतन इ संसार मै तु सदा इकल्ला ॥ पाप रूप पिसात कैते पापा छल्ला । पापै घुम्या गिरि पया किनि दित्ता तल्ला । जिन्ह सा मिलन वियोग है तिन्ह सा क्या तल्ला ॥ ६॥ ___End.-वनन तुमाठा माह मैं ज्यों रोहरुहल्ला । थिति प्रवान तुझ को भई गुरुग्यान दुहल्ला ॥ अवघट अंतर घट गई भवनीर चुहल्ला। परम चाह परगट भई सिव राह सुहल्ला ॥ २१ ॥ ज्ञान दिवाकर उमगिया मति किरण प्रवल्ला । द्वैसत पंड विहंडिया भ्रमति मर पटल्ला ॥ सत्य प्रतापें भंजिया दुरगति दुहल्ला। अंग्गि अंगार देष्भिया ज्यों तुलदा पल्ला ॥ २२ ॥ दाहा ॥ इह सत गुरु दोदेसना करिया श्रवदि वाडि । लदी पैडी मोष को कर्म कपाट उघाडि ॥ २३॥ भव थिति जिन को घट गई तिनकों इह उपदेस । कहत वणारसीदास ये मूढ़ न समझे लेस ॥२४॥ ग्यान उदधि जिन वर कथा भेद समझ विस्तार । यो उदधि उरमी वसै ग्यान गम्य निरधार ॥ इति मोष पैडी समाप्तम् शुभमस्तु । Subjeot.-जैनी ज्ञानापदेश । No. 19 (c). Vēda Nirņaya Pañchāśikā by Banārasi Dāsa. Substance-Country-made paper Leaves--6. Sizo—52 5 inches. Lines 14 per page. Extont-90 Slokas. Appearance old. Character-Nagari. Place of Deposit-Rama Gopala Vaidya, Jahāngirābād, Bulandasahar. Beginning.-अथ वेद निर्नय पंचासिका लिप्यते ॥ चूडामणि छंद ॥ प्राधा दोहरा आधा गाथा ॥ जगत विलोचन जगत हित जगतारन जुग जान । वंदै जग चूडामणि जगनायक जगत प्रधान ॥ १॥ नमो ऋषभ स्वामी प्रमुष जिन चौवीस महंत । गुरुचरन चित राषौ मुष भापों वेद विरतंत ॥ २॥ सवैया ३१ ॥ केवलि उकत वेद अंतर गुपत भये जिन्हके सवद मै अम्रत रस चुवा है । अव रघु वेद जजुर्वेद स्याम अथर्वन इनहो का परभाव जगत मे हुवा है ॥ कहत वनारसी तथापि मै कहाँगो कछु तेई समझेगे जिन्हका मिथ्या त मुवा है। मतवाला मूरष न मानै उपदेस जैसे उलुवा न जानै केहि उर भान उवा है ॥ ३॥ दोहरा ॥ कहीं वेद पंचासिका जिन वानी परवान । नर अग्यान जानै नहि जो जानै सा जान ॥४॥ ब्रह्मा नाम जुगादि जिन रूप चतुर्मुप धारि । समोसरन मंडान मै वेद वाने च्यारि ॥ ५॥ सवैया ॥ ३१ ॥ प्रथम पुनीत प्रथमान वेद जामै त्रिसठ सलाका महापुरुष की कथा है । दुज विद करनानु वेद जाके गरभ वरनी अनादि लोकालोक थिति जथा है ॥ चरनानु वेद वेद तीसरो प्रगट जामै मोष पंथ कारन
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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