________________
शकावानुनथी. कारण के समुद्रमा विशेष आगल जइ शकातुं नथी. कोलंबसे अमेरिका शोधी काढ्या अगाउ ते देश प्रख्यातिमा नहोतो. हजु पण के. टलीक नवी जग्याओ इंग्रेज साहसीको शोधी काढे छे तेम वली आगल पण जेनाथी महेनत बनी शके ते नवी शोध करे. वास्ते नजरे दीर्छ तेटटुंज बस केम कहेवाय ? सर्व जमीननुं ज्ञान तो जेने अंतरंगथी कर्म क्षय थइ गयां होय तेने ज होय छे. ज्यारे मंत्र साधन करीए छीए त्यारे ते मंत्रना अधिष्ठायक देवता काइ आपणा शब्द सांभलता नथी पण तेने
आपणा करतां विशेष ज्ञान छे, ते ज्ञानथी ते जाणी शके छ के " म्हारु कोइए स्मरण कर्यु छे" तेथी आवीने आपणुं कार्य करे छे. तेम देवताथी पण अधिक ज्ञान सर्वज्ञने छे तेथी तेमणे असंख्याता द्वीप समुद्रनुं स्वरूप बतान्युं छे, गया कालनु पण खरूप बताव्युं छे. वली कर्मनु स्वरूप, कमनी वर्गणानुं स्वरूप, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकायर्नु स्वरूप, कालनु स्वरूप तथा आत्मानुं स्वरूप घणा विस्तार पूर्वक बताव्यु छे. ते बीजा शास्त्रमा जणातुं नथी. ए अधिकार कर्मग्रंथ, कम्मपयडी, पंचसंग्रह, तत्वार्थ, सम्मतितर्क, विशेषावश्यक विगेरे शास्त्रमा छे. ते जोशो तो जणाशे के जैनशास्त्रमा केटलुं सूक्ष्म ज्ञान बताव्यु छ ? वणुक विषे जाणवू जे पूर्व अढार दूषण बताव्यां छे ते जोशो तो जणाशे के आवा दूषण रहितनी केवी प्रवृत्ति होय १ वधारे तो सिद्धांतमा चरित्रो छे तेजोशो तो मालम पडशे के जेने कोइ पण प्रकारनी वांछा नथी, मात्र उपकारी बुद्धि ज छे, स्त्री धन विगैरेनी इच्छा तेम ज संगत नथी, वली पोताने म्होटाइ पण नथी. एवा देवने देव कहेवा योग्य छ वली जे जीव पोताना आत्मानुं ज्ञान मेलवी राग द्वेषनो त्याग करें ते कर्मथी मूकाय, अहियां एम नथी कडं के मने मानशो तो ज काम थशे; जे आत्मानी शुद्ध परिणती प्रमाणे वर्चशे तेनुं काम थशे. भावी रीतनों जेमनो शुद्ध उपदेश छ तेमनी बतावेली बाबतो घणी ज वल्लभ लागे छे.'अमारा कहेवाथी काइ विशेष नथी. न्याय बुद्धि धारण करी निर्पक्षपातपणे जैनशास्त्र तथा