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( २७ ) फल तथा विधि बतायी छे. एवा श्रक्षना स्थापनाचार्य स्थापीने तेनी सन्मुख किया करवी. तेनो योग न बने तो ज्ञान दर्शन अने चारित्रनां उपकरण - मुख्यत्वे पुस्तक नवकारवाली प्रमुखनी स्थापना करवी. श्री ठाणांंग सूत्रमां दश प्रकारनी स्थापना कही छे, ते स्थापीने पंचिदिय वडे, तेमां गुरु महाराजना गुणनुं श्रारोपण करवुं अने पछी तेनी समीपे विft करवो.
३५ प्रश्नः - धर्म ते शुं ?
उत्तरः- धर्म बे प्रकारना छे. १ श्रात्मिकधर्म श्रने २ व्यवहारधर्म. ३६ प्रश्नः - श्रात्मिकधर्म ते शुं १
उत्तरः- आत्मिकधर्म ते आत्मानुं लक्षण- अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत चारित्र, अनंत वीर्यादि तेमां रमण करवुं ते आत्मिकधर्मनुं आराधन समजवु.
- ३७ प्रश्न:- अनंतज्ञान ते शुं ?
उत्तर:- अनंता पदार्थोनुं त्रणे कालनुं स्वरूप जाणवानी आत्मानी शक्ति छे ते.
३८ प्रश्नः - आत्मानी एवी शक्ति छे तो ते जणाती केम नथी ? उत्तरः- आत्मा कर्मे करीने श्रवरायलो छे तेथी तेनी शक्ति चाली शकती नथी.
३९ प्रश्नः - आत्मा कर्मे करीने क्यारथी अवरायो छे ?
उत्तरः- श्रात्मा अनादिकालथी कर्मे करीने अत्ररायलो छे. कोइ काले पण निर्मल हतो ज नहीं. जेम सोनुं खाणनी अंदर मूलथी ज माटी साथै मलेलं छे, तेम जीवने माटे पण समजवु.
४० प्रश्नः - कर्म ते शुं ? अने ते जीवनी साये केवी रीते एकमेक थयेलां छे ? वली अनादिनां कर्म छे ते ज चाल्यां आवे छे के फेरफार थाय छे ?
उत्तर:- कर्म ते जड पदार्थ छे. जे चर्मचक्षु वडे देखाय छे ते सर्व जड