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( २८ ) पदार्थ ज छे. जीव देखी शकाता नथी. जड पदार्थो विचित्र प्रकारना रूप धारण करे छे. मनुष्यना शरीर रूप मलेला छे ते ज वखिरीने पाछा राखोडी रूपे थाय छे. वखते श्रभि रूपे थाय छे अने ते ज पाछा पृथ्वी पाणी, वायु, वनस्पति तथा जनावरोना रूपने धारण करे छे. जीवनाशरीरमांथी छूटेला पुद्गलोना विचित्र घाट बने छे. जीव ग्रहण करबो न होय तेवा छूटा पुत्रलोनां पण स्वभाविक अनेक रूप बने छे. श्राकाशमां लीला पीला रंग देखाय छे ते स्वभाविक ज बने छे. एवा पुद्गल परंमाणुओ मलीने कर्म योग्य पदार्थ थाय छे. तेवो कर्म पदार्थ आत्मानी साथे अनादिकालथी मलेलो छे. ते जेम जेम भोगवाय छे, तेम तेम छूटा श्रता जाय छे अने पाछा नवा बंधाय छे. एकवारनं बाधेलुं 'कर्म कांइ सदा काल पहोंच्या करतुं नथी. पूर्वकर्मना योगे जीवना जैवा जेवा प्रणांम थाय छे, तेवां तेवां कर्म वधाय छे. एम श्रेणि प्रश्रेणि चाल्या ज करे छे. जेम चिकाशवाला पदार्थने रज लागे छे, तेम जीवने राग द्वेषनी परिण• ती रूप चिकाशने योगे कर्मना पुनलो आवीने वलगे छे.
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४१ प्रश्नः - जीव तथा पुहलनो कर्त्ता कोइ छे ?
उत्तरः- ए कोइना बनावेला नथी एटले तेनो कर्त्ता कोइ के ज नहीं. वली न्यायथी विचारतां. एनो कर्त्ता होइ शके पण नहीं. जो तेनो कोई बनानार होय तो ते शरीरधारी होवो. जोइए एटले तेने बनावनारनो पण कोइ बनावनार जोइए. वली ज्यारे जगत्मां कोइ पदार्थ ज न होय त्यारे जीव अने पुल शुं पदार्थ न बनावे ? वली जो जीवनो कर्त्ता होय तो. ते पाप कार्य करनाराओंने बनावे ज नहीं श्रने जगत्मां तो तेवा म नुच्यो ज बधारे देखाय छे. कदी कोइ कहेशे के बनाव्या त्यारे तो सारा हता, पण पाळली. बगडी गया तो बनावनारा ज्ञानीने एवं पण ज्ञान हो - जोइए के, आ पाछलथी बगडी जशे माटे एने न बनावु. - साधारण मनुष्य पण जो कोइ कार्यनुं परिणाम खराब आववानुं जाणे तो ते कार्य काता - नयी सारे, जे सर्वज्ञ छे. ते तो त्रणे कालनुं स्वरूप. नाणी शके एटले