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प्रासंगिक वक्तव्य
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यह सुबोधि-दर्पण सन्मति सुमनमाला का आठवां सुमन (पुष्प ) है । इसके सम्पादक हैं धर्मरत्न पंडित दीपचन्द जी वर्णी दि०जैन परिवार नरसिंहपुरc.p. निवासी। इसके पहले आपके द्वारा भट्टारकमीमांसा, त्याग मीमांसा, सामायिक पाठ, आलाप पद्धति, - लघु सामायिक, तेरापंथ दीपिका, ज्ञानानन्द चौसर की कुञ्जी ये सात सुमन निकल चुके हैं। जो बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं । इनके सिवाय और भी श्रीपाल चरित्र, जम्बूस्वामीचरित्र, षोड़सकारण धर्म, दश लक्षण धर्म, माता का पुत्री को उपदेश, कलियुग की कुलदेवी [ वेश्यानिषेध ] चतुर्वाई जैन व्रत कथाए हिन्दी जाति सुधार [ उपन्यास ] जम्बूस्वामीचरित्र संक्षिप्त ( स्वरचित जम्बूस्वामी की पूजा, दिगम्बर जैन मन्दिर चौरासी, मथुरा तथा वहां के प्रसिद्ध सेठ लक्ष्मीचन्द जी के घराने का इतिहास सहित ) आहार दान विधि आदि पुस्तकें व ट्रेक्ट - तथा विश्वतत्व सार्वधर्म और गुण स्थान आदि चार्टस प्रकाशित हो चुके हैं, इनके सिवाय अभी 'ज्ञानानन्द चौसर' जो गोमहसार त्रिलोकसारादि ग्रन्थों के आधार से बहुत परिश्रम पूर्वक बनाई गई हैं। जिससे मनोरंजन करते [ खेल २ में ] अनेक - बातों का ज्ञान होसकता है, पाप से भय और पुण्य का मार्ग