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ज्ञान संबंधी वे बोल भाग ४.
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स्वरुप हस्तामलकवत् जाणी देखी शकाय छे. एटला माटे थड़ने जाणवारुप पदार्थ ते जीव अने अजीब छे एजाणवा रुप मुख्य वे श्रेणिओ कहेवाइ.
शिक्षापाठ ८०. ज्ञान संबंधी बे बोल
भाग ४.
४. एना उपभेद संक्षेपमां कहुं छडं. 'जीव' ए चैतन्य लक्षणे एक रूप छे. देहस्वरुपे अने द्रव्य स्वरुपे अनंतानंत छे. देहस्वरूपे तेना इंद्रियादिक जाणवा रुप छे; तेनी गति, विगति इत्यादिक जाणत्रा रूप छे; तेनी संसर्ग रीद्धि जाणवा रुप छे तेमज 'अजीव' तेना रुपी अरुपी पुद्गळ आकाशादिक विचित्र भाव काळचक्र इत्यादि जाणवा रुप छे. जीवाजीव जाणवानी प्रकारांतरे सर्वज्ञ सर्वदर्शीए नव श्रेणि रुप नवतत्त्व कहां छे.
जीन,
अजीव,
आश्रव,
पाप, निर्जरा, बंध,
पुण्य,
संवर,
मोक्ष.
एमांनां केवलांक प्रारूप, केटलांक जाणवारूप, केटलोक त्यागवारुप छे, सघळां ए तत्वो जाणवारुप तो छेज,