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________________ अधिकारयुक्त वाणीसे बौद्ध धर्मका इतना सरल विवेचन अन्य किसीने किया हो, ऐसा दिखाई नहीं देता। __ 'भगवान् बुद्ध' में भगवान् बुद्धके विषयमें सारी विश्वसनीय एवं अद्यतन जानकारी आ जाती है।' बुद्ध धर्म आणि संघ' नामक छोटी-सी पुस्तकमें जैसा कि उससे नामसे ही स्पष्ट हो जाता है, उन तीनों बातोंकी, रत्नोंकी, बिलकुल प्राथमिक जानकारी दी गई है। 'बुद्ध लीला-सार-संग्रह' नामक उनके अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथके पहले भागमें बुद्ध के पूर्व-जन्मोंके सम्बन्धकी जातक-कथाएँ हैं; और साथ ही यह पौराणिक जानकारी भी है कि बोधिसत्वने चरित्रकी विभिन्न पारमिताएँ कैसे प्राप्त की। दूसरे भागमें बुद्धकी जीवनी है; और तीसरेमें बुद्ध के उपदेश संक्षेपमें दिये गये हैं। बौद्ध-साहित्यके प्रधान ग्रंथ 'त्रिपिटक मेंसे. विनय पिटकका सारांश उन्होंने 'बौद्ध संघाचा परिचय 'में दिया है। बौद्धोंमें जिस प्रकरणकी महिमा गीताकी तरह गाई जाती है, उस 'धम्मपद' का और उसके बाद उतने ही लोकप्रिय ग्रथ'बोधिचर्यावतार'का अनुवाद भी उन्होंने मराठीमें कर दिया है । बौद्ध लोगोंकी योगमार्ग विषयक यथार्थ कल्पना क्या है, यह धर्मानंदजीकी 'विशुद्धि मार्ग' नामक छोटी-सी पुस्तकमें अच्छी तरह स्पष्ट हो जाता है। इनके अलावा उन्होंने और भी कुछ छोटी-बड़ी पुस्तकें लिखी हैं। परन्तु अपने जीवनविषयक और धर्मविषयक परिपक्व विचार उन्होंने अपने तीन स्वतंत्र मौलिक ग्रंथोंमें अथित किये हैं। किन-किन सामाजिक एवं राजनीतिक कारणोंसे बुद्ध भगवान्ने राज्यत्याग किया और संन्यास ग्रहण किया, इस सम्बन्धमें उन्होंने अपनी बिलकुल स्वतंत्र उपपत्ति 'बोधिसत्त्व' नामक नाटक ग्रंथमें दी है। वैदिक कालसे धर्मविचारोंमें कैसे कैसे परिवर्तन हुए, धर्मक्रान्तिके साथसाथ विभिन्न पुरोहित वर्गोका निर्माण कैसे हुआ और धर्मकी शुद्ध कल्पनाको संप्रदायोंके अलग अलग व्यूहोंमेंसे मुक्त होने में कैसे कैसे कष्ट उठाने पड़े, यह सब उन्होंने अपनी कल्पनाके अनुसार 'भारतीय संस्कृति
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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