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आचा०
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प्रश्न – दिर्घ शष्कुली. (तळपापडी) खावा विगेरेमां पांच इन्द्रियोनुं विज्ञान थाय छे। अने ते साथे अनुभव थाय छे, ते केवी रीते छे? उत्तर - तेम नथी. कारणके. केवळीने पण वे उपयोग साथे नथी. त्यारे वीजानेतो आरातीय (अल्पमात्र) भाग जोनारने पांचेने उपयोग साथै कयांथी होय आ वावतमां अमे बीजी जग्याए विस्तारथी कछु छे. तेथी अहीं कहता नथी अने जे साथेना अनुभवनो आभास थाय छे. ते मननुं जल्दी दोडवानी वृत्तिपणानुं छे. कछु छे के
" आत्मा सहति मनसा मन इन्द्रियेण, स्वार्थेन चेन्द्रियमिति क्रम एष शीघ्रः । योगोऽयमेव मनसः किमगम्यमस्ति ?, यस्मिन्मनो व्रजति तत्र गतोऽयमात्मा ॥ १ ॥
आत्मा मननी साथे जाय छे। अने मन छे ते इन्द्रिय साथै जाय छे। अने इन्द्रिय पोताना इच्छित पदार्थ मां जाय छे. अने ते क्रम शीघ्र वने छे. आ मननो योग शुं अजाण्यो छे के जेमां मन जाय छे त्यां आत्मा गएलोज छे.
अ अह आ आत्मा, इन्द्रियोनी लब्धिवाळो शरुआतथीज जन्मना उत्पत्ति स्थानमां एक समयमां आहार पर्याप्तिने निपजावे छे. त्यार पछी अंतर्मुहूर्त्तमां शरीर पर्याप्तिने निपजावे छे. त्यार पछी इन्द्रिय पर्याप्तिने तेटलाज काळमां निपजावे छे. अने ते पांच इन्द्रियो स्पर्श रस घ्राण चक्षु अने श्रोत्र एम छे. ते पण द्रव्य अने भाव एम दरेक वे भेदे छे. तेमां द्रव्य इन्द्रिय निवृत्ति अने उपकरण एम वे भेदे छे. निरृत्ति पण अंतर अने बाह्य एम वे भेदे छे.
नाथ निर्वाह थाय ते निवृत्ति छे. अने ते कोनाथी निर्वाह थाय छे.? तेनो उत्तर - कर्मवढे निर्वाह थाय छे.
सूत्रम्
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