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सूत्रम्
८६२॥
15 शत्रपरिक्षा अध्ययनमां अभ्यंतर थाय छे
., जा भाषा
हवे चूडाओनुं यथास्व (पोतान) परिमाण कहे छे. . .
.जावोग्गहपडिमाओ पढमा सत्तिकगा विइअचूला । भावण विमुत्ति आयारपक्कप्पा तिन्नि इअ पंच ॥ २९७ ॥ 'n८६२॥
18 पिढेपणा अध्ययनथी आरंभीने अवग्रह प्रतिमा अध्ययन सुधीमां सात अध्ययनोनी पहेली चूडा छे, सात सातनी एकेक ए
बीजी चूडा छे, भावना नामनी त्रीजी छे, अने विमुक्ति नामनी चोथी चुडा छे. आचार प्रकल्प निशीथ छे, ते पांचमी चुडा छ, ते चुडानो नाम विगेरे निक्षेपो छ प्रकारनो छे. नाम स्थापना सुगम छे, द्रव्य चुडा व्यतिरिक्तमां-सचित्तमां कुकडानी, अचित्तमां
मुकुटना चुडानी मणि छे. मिश्रमां मयूरनी छे, क्षेत्र चुडामा लोक निष्कुट रुप छे, काल चुडामा अधिक मासना स्वभाववाळी, अने प्रभाव चुडामां आज चुडा छे. कारण के ते क्षायोपशमिक (श्रुनज्ञान) मां वर्ते छे. आ सात अध्ययन रूप छे, तेमां प्रथम अध्ययन 31
पिढेपणा छे, तेना चार अनुयोगद्वार छे. नामनिष्पन्न निक्षेपामां पिंडेपणा अध्ययन छे, तेना निक्षेपद्वारे सर्वे पिंड नियुक्तिओ अहीं कहेवी, हवे सूत्रानुगममा अस्खलित विगेरे गुण युक्त मूत्र उच्चारलु जोइए, ते कहे छे.
से मिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविटे समाणे से जं पुण जाणिज्जा-असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पाणेहिं वा पणगेहि वा वीएहिं वा हरिएहि वा संसत्तं उम्मिस्सं सीओदएणवा : ओसित्तं रयसा वा परिघासियं वा तहप्पगारं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइम वा परहत्यसि वा परपायंसि वा अफासुयं अणेसणिजति मन्त्रमाणे लाभेवि सं नो पटिग्गाहिज्जा ।। से य आहच्च पडिग्गहे सिया से तं आयाय
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