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आचा०
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| उदीरणामां आववानां छे तेथी आ पुरुष मने आक्रोश करे छे, वांधे छे तपे छे पीछे छे, संतापे छे, पण मने सारी रीते सहन करवाथी एकांतथी सकाम निर्जरा थाय छे, केवली भगवान तेज पांच स्थानमां आवेला परीसह उपसर्ग सहन करे तेओ जाणे छे. | के, केवली ज्यारे आवां दुःख सहन करे छे, त्यारे घणा छद्मस्थ साधुओ निर्ग्रथो आवेला परीसह उपसर्गोंने तेमना दृष्टांतथी सारी रीते सहन करशे अने आत्मामां शांति राखशे आ उपरथी साधुए सार ए लेवो के कोइ गांडो थयेलो बीजाने मारे तो तेना उपर दया आवे छे. तेज प्रमाणे साधुने दुःख देनार उपर साधुने दया लाववी जोइएं. आ प्रमाणे जे परीसहो आवे ते अनुकूल प्रतिकूल एम वे भेदे छे. ते वन्नेमां रागद्वेष कर्या विना शांति राखीने विचरे, अथवा वीजी रीते परीसह वे प्रकारना बतावे छे. जे सत्कार अने पुरस्कार साधुने आनंदकारी छे अने प्रतिकूल मनने अनिष्ट छे, अथवा लज्जारूप याचना करवी अने अचेल वगेरे छे, अने लज्जा विनाना ठंड ताप विगेरे छे, ए प्रमाणे वन्ने प्रकारना परीसहोने सम्यक् प्रकारे सहन करतो विचरे, बळी
चिच्चा सर्व वित्तियं फासे समियदंसणे, एए भो णगिणा वृत्ता जे लोगंसि अणागमणधम्मणो आणाए मामगं धम्मं एस उत्तरवाए इह माणवाणं वियाहिए, इत्थोवरए तं झोसमाणे आयाणिजं परित्राय यरियाएण विचिइ, इह एगेसिं एगचरिया होइ तत्थियरा इयरेहिं कुलेहिं सुद्धेसएसए से मेहावी परिवए सुबिंभ अदुवा दुबिंभ अदुवा तत्थ भेरवा पाणा पाणे किले
सूत्रम
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