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छठा अध्ययन
पात्र
a भिक्षु या भिक्षुणी को पात्र की जरूरत पड़े तो वह तूंनी. लकड़ी, मिट्टी, या इसी प्रकार का कोई पात्र मांगे। अदि कोई भिक्षु बलवान, निरोगी और मजबूत हो तो एक ही पात्र रखे, दो नहीं।
पात्र मांगने के लिये वह दो कोस से दूर जाने की इच्छा न करे।
जिस पान को गहन्थने एक या अनेक सहधर्मी भिनु या भिक्षुणी के लिये जीवो की हिसा करके तैयार किया हो . (वस्य अध्ययन के सूत्र १४३, पृष्ट १०५ के अनुसार) तो उसे सदोष समझ कर न ले।
भिक्षु, बहुमूल्य और दर्शनीय पात्र मिलने पर भी न ले।
उपरोक्त दीप टालकर, भिनु नीचे के चार नियमो में से एक नियम के अनुसार पात्र मांगे
१ नबी, लकड़ी, मिट्टी ग्रादि के पात्र में से एक तरह का निश्चय करके, उसी का पात्र मागे था कोई दे तो ले ले।
२. अपनी जरूरत का पात्र गृहस्थ के यहां देव कर मांगे या कोई दे तो ले ले।
३ गहस्थ ने काम में ले लिये हो या काम में ले रहा हो ऐसे दो-तीन पात्र में से एक को मांगे या कोई दे तो ले ले।