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________________ गाथा ५ प्रश्न ४२-~-एक-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-एक ही पदार्थका ग्रहण होना एक-अवग्रह है । प्रश्न ४३-बहुविध-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-बहुत प्रकारके पदार्थोंका अवग्रह करना बहुविध-अवग्रह है। प्रश्न ४४-एकविध-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-एक ही प्रकारके पदार्थका अवग्रह करना एकविध-अवग्रह है । प्रश्न ४५-एकविध-अवग्रह एक प्रकारके बहुत पदार्थोंका होता होगा ? उत्तर-एकविध अवग्रह एक प्रकारके अनेक पदार्थोमे भी होता है और एक ही पदार्थमे भी होता है। प्रश्न ४६-एक पदार्थमे भी एकविध अवग्रह हो तो इस एकविध व एक-अवग्रहमे क्या अन्तर हुआ? उत्तर- एक पदार्थमे एकविधमे अवग्रह हो तो एकको एक प्रकारकी दृष्टिसे जाननेसे होता है और प्रकारकी दृष्टि बिना एकको जाननेसे एक अवग्रह होता है । प्रश्न ४७-क्षिप्र-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-शीघ्रतासे पदार्थका अवग्रहज्ञान कर लेना क्षिप्र-अवग्रह है। प्रश्न ४५–अक्षिप्र-प्रवग्रह किसे कहते है ? उत्तर- शनैः शनैः पदार्थका अवग्रह ज्ञान करना, अक्षित्र-ज्ञान करना अक्षिप्र-अवग्रह है प्रश्न ४६-निःसृत-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-निःसृत पदार्थका अवग्रह करना निःसृत-अवग्रह है। कि प्रश्न ५०-अनिःसृत-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर-निःसृत अशको जानकर अनि सृत पदार्थको जानना अनि सृत अवग्रह है।। प्रश्न ५१-उक्त-अवग्रह किसे कहते है ? और . उत्तर–इन्द्रियो व मनके द्वारा अपने नियत विषयको जानना उक्त-अवग्रह है। प्रश्न ५२-अनुक्त-अवग्रह किसे कहते है ? उत्तर। किसी इन्द्रिय या मन द्वारा अपने नियत विषयको जानते हुये साथ ही अन्य विषयोको जानना अनुक्त-अवग्रह है । जैसे चक्षुरिन्द्रिय द्वारा आगको देखते हुये इसको भी जान जाना। प्रश्न ५३-व्यञ्जनावग्रह भी क्या सर्च इन्द्रिय व मनके निमित्तसे उत्पन्न होता है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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