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द्रव्यसग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका प्रवायसे नोचकी विचार-बुद्धि है।
३३-- अवायज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-- ईहाज्ञानसे जो पदार्थका ज्ञान हुआ है उसके पूर्ण प्रतीतियुक्त ज्ञानको अवायज्ञान कहते है।
.)३४-- धारणा ज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-- अवायज्ञानसे निर्णय किये गये पदार्थके कालान्तरमे..विस्मरण न होनेको धारणाज्ञान कहते है। Si r ain
प्रश्न ३५-- मतिज्ञानका विषय पदार्थ है या गुण है या पर्याय ?
उत्तर-- मतिज्ञानका विषय पदार्थ है, केवल गुण नही और न केवल पर्याय । हां, पदार्थ गुणपर्यायात्मक ही होता है।
प्रश्न ३६- केवल गुण या केवल पर्याय क्या किसी अन्य ज्ञानका विषय हो सकता
उत्तर-केवल गुण या केवल पर्याय किसी भी ज्ञानका विषय नहीं है, क्योकि केवल गुण या केवल पर्याय असत् है । असत् किसी भी ज्ञानका विषय नही है।
प्रश्न ३७- द्रव्याथिक दृष्टिसे गुण जाना तो जाता है फिर वह असत् कैसे है ?
उत्तर- द्रव्याथिक दृष्टिसे गुणकी मुख्यतासे पदार्थ जाना जाता है, केवल गुण नही। 7/प्रश्न ३८-पर्यायार्थिक दृष्टिसे पदार्थ जाना जाता है, फिर वह असत् कैसे ?
उत्तर- पर्यायाथिक दृष्टिसे पर्यायकी मुख्यतासे पदार्थ जाना जाता है, केवल पर्याय नही। (प्रश्न ३६- गुण या पर्याय सत् न सही, किन्तु सत्के अश तो हैं ?
उत्तर-सत् कभी गुणकी मुख्यतासे जाना जाता है और कभी पर्यायकी मुख्यतासे जाना जाता है । इस प्रकार सत्के अशकी कल्पना की गई है । 'वस्तुतः सदृश परिणमन और विसदृश परिणमनमें वर्तता वह एक अखण्ड पदार्थ ही है । 3
"प्रश्न ४०-अवग्रहादिक धारो प्रकारके मतिज्ञान कितने प्रकारके है ?
उत्तर- अवग्रहादिक मतिज्ञान १२-१२ प्रकारके है-(१) बहु-अवग्रह, (२) एक-भवग्रह, (३) बहुविध-अवग्रह, (४) एकविध-अवग्रह, (५) क्षिप्र-अवग्रह, (६) अक्षिप्र-अवग्रह, (७) अनिःसृत-अवग्रह, (८) निःसृत-अवग्रह, (९) अनुक्त-अवग्रह, (१०) उक्त-अवग्रह, (११) ध्रुव-अवग्रह और (१२) अघ्र व-अवग्रह ।।
प्रश्न ४१- बहु-अवग्रह ज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-बहुत पदार्थोका एक साथ प्रवग्रहज्ञान करना बहु-अवग्रहज्ञान है । जैसे पांचो अगुलियोका एक साथ ज्ञान होना।
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