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________________ अनादिगन्त द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १- आत्माका कौनसा परिणाम कर्मक्षयका कारण है ? उत्तर-निश्चयरत्नत्रयात्मक कारणसमयसाररूप आत्माका परिणाम कर्मक्षयका कारण है। प्रश्न २-कारगासमयसार क्या है ? उत्तर-कारणसमयसार २ प्रकारसे जानना चाहिये-(२) सामान्यकारणसमयसार, (श विशेपकारणसमयसार । प्रिश्न ३-सामान्यकारणसमयसार किसे कहते है ? उत्तर- अनाद्यनन्त, अखण्ड, अहेतुक चैतन्यस्वभावको सामान्यकारणसमयसारी कहते है । इसका दूसरा नाम पारिणामिक भाव या परमपारिणामिक भाव है। प्रश्न ४- क्या सामान्यकारणसमयसार मोक्षका कारण नही है? उत्तर- सामान्यकारणसमयसारकी अशुद्ध शुद्ध नाना परिणतियां होती रहती है, केवल मोक्षका ही कारण हो ऐसा नही है अथवा उसका स्वय स्वरूप पर्याय आदि भेद कल्पनासे रहित है प्रत. वह मोक्षहेतु नही है । प्रश्न ५- सामान्यकारसमयसारकी दृष्टि हुये बिना तो मोक्षमार्गका भी प्रारम्भ नही होता, फिर वही मोक्षहेतु कैसे नही है ? उत्तर-सामान्यकारणसमयसारको दृष्टि, प्रतीति, आलम्बन, अनुभूति ये सब मोक्षके हेतु है, किन्तु सामान्यकारणसमयसार स्वय न हेतु है और न कार्य है तथा न अन्य कल्पनागत है । यह तो सामान्यस्वरूप है। प्रश्न ६-विशेषकारणसमयसार किसे कहते है ? उत्तर-सामान्यकारणसमयसारकी दृष्टि, प्रतीति, पालम्बन, भावना, अनुभूति, अनुरूप परिणति ये सब विशेषकारसमयसार है। प्रश्न ७- मोक्षका साक्षात् हेतु क्या है ? उत्तर-सामान्यकारणसमयसारके अनुरूप परिणमनरूप. विशेष कारणसमयसार मोक्षका साक्षात् हेतु है । (इसके दूसरे नाम निश्चयरत्नत्रय, अभेदरत्नत्रय, एकत्व वितर्क-मुता अवीचार शुक्लध्यान, परमसमाधि, वीतरागभाव आदि है। स्वाना हि प्रश्न ८-तब तो विशेषकारणसमयसारका ही ध्यान करना चाहिये । उत्तर-नही ध्येय तो सामान्यकारणसमयसार होता है। विशेषकारणसमयसार "तो कही ध्यानरूप और कही ध्यानके फलरूप है। प्रश्न :-भावमोक्ष किस गुणस्थानमे है ? (उत्तर- भावमोक्ष १३ वे गुणस्थानमे है और आत्मद्रव्यकी अपेक्षा भावमोक्ष याने
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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