SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा ३५ १८७ प्रश्न १३८–पादान्तरपञ्चेन्द्रियागम अतराय क्या है ? उत्तर- भोजनार्थ चलते समय या आहारके समय यदि चरणोंके अन्तरालमे कोई पञ्चेन्द्रिय जीव आ जावे तो वह पादान्तरपञ्चेन्द्रियागम अन्तराय है। प्रश्न १३६-भाजनसपात अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- साधुको आहार देने वालेके हाथ से कोई कटोरा आदि पात्र गिर पडे तो उसे भाजनसंपात अन्तराय कहते है । प्रश्न १४०- उच्चार अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर-भोजनार्थ जाते हुए या आहार करते हुये साधुके विष्टा मल निकल आवे तो उसे उच्चार नामक अन्तराय कहते है। प्रश्न १४१ --प्रस्रवण अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर–साधुके मूत्रका स्राव हो जानेको प्रस्रवण अन्तराय कहते है । प्रश्न १४२- अभोज्यगृह-प्रवेश अन्तराय क्या है ? उत्तर-- भिक्षार्थ चर्या करते हुए यदि साधुका चाण्डाल आदि अस्पृश्य जीवोके घर प्रवेश हो जाय तो उसे प्रभोज्यगृह-प्रवेश अन्तराय कहते है। प्रश्न १४३- पतन नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर - साधुके मूर्छा, भ्रम, श्रम, रोग आदिके कारण भूमिपर गिर जानेको पतन नामक पन्तराय कहते है। प्रश्न १४४-उपवेशन नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- प्रशक्ति आदि कारणवश साधुके भूमिपर बैठ जानेको उफ्वेशन नामक अन्तराय कहते है। प्रश्न १४५- सदश नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- भिक्षार्थ पर्यटनमे या आहारके समय कुत्ता, बिल्ली आदि कोई जानवर साधु को काट ले तो उसे सदश नामक अतराय कहते है। प्रश्न १४६- भूमिस्पर्श अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- सिद्धभक्ति किये बाद साधुको हाथकरि भूमिस्पर्श हो जाय तो उसे भूमिस्पर्श नामक अन्तराय कहते है। प्रगन १४७-निष्ठीवन नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर-आहार करते हुए साधुके कफ, थूक, नाक प्रादिके निकल जानेको निष्ठीवन नाक अन्तराय कहते है। प्रश्न १४८- उदरक्रिमिनिर्गमन अन्तराय क्या है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy