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________________ १८८ द्रव्यमगह-प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर- मुरपसारगे अश्या गुदा द्वारी माधुके पेटको किमि (कोडे) का निकलना, सो उदरक्रिगिनिर्गमन अन्तराय है। प्रश्न १४६- अदत्तग्रहण नामक अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर- दातारके दिये बिना ही भोजन श्रीपधि ग्रहण कर ली जाय या मकेत करके भोजनादि ग्रहण किया जाय तो उसे अदत्तग्रहण नागा अन्तगर कहते हैं। प्रश्न १५०-प्रहार नामक अन्तराय कब होता है ? उनर- अपना (माधुका) या निकटवर्ती किसी अन्यका सद्ग बरछो आदि द्वारा प्रहार करनेपर प्रहार अन्तराय होता है। प्रश्न १५१- ग्रामदाह अन्तगय कब होता है ? उन्नर-जिमके निकट स्वयका निदाम हो रहा हो, ऐसे ग्राममे अग्निके लग जानेपर ग्रामदाह नामक अन्तराय हो जाता है। प्रश्न १५२-पादग्रहण अन्तराय किसे कहते है ? उत्तर-किसी भी वस्तुको परसे उठाकर ग्रहण करनेको पादग्रहण अतराय कहते है। प्रश्न १५३---हस्तग्रहण अन्तराय किन कहते है ? उत्तर--किसी वस्तुको भूमि परसे हाथ द्वारा उठाकर ग्रहण करनेको हस्नग्रहण अन्तराय कहते है। प्रश्न १५४-- ये किस ममयसे किस समय तक बीचमे माने जाते है ? उत्तर- साधु जब भिक्षार्थ जाता है उससे पहिले भुक्तिचर्याक लिये सिद्धभक्ति करता है । किसी श्रावकके द्वारा पडिगाहे जानेपर भोजनशालामे 'स्थित होकर दुवारा सिद्धभक्ति पढता है। उक्त अन्तरायोमे से कुछ अन्तराग पहिली मिभक्तिसे लेकर ग्राहार-समाप्ति तकके बीचमे माने जाते हे और कुछ अतराय द्वितीय मिद्धभक्तिसे आहार-समाप्ति तक माने जाते है । उन्हें यथागम लगा लेना चाहिये । प्रश्न १५५-- एपणा ममितिका शब्दार्थ क्या है ? उत्तर- एपणाका अर्थ खोजना है । उक्त सव प्रकारोसे निर्दोप आहार खोजनेके लिये तथा आहार करनेके लिये जो सावधानी होती है उसे एपणा समिति कहते है । प्रश्न १५६- आदाननिक्षेपणसमिति किसे कहते है ? उत्तर- कमण्टल, पुस्तक आदि योग्य वस्तुको देख-भालकर जिसमे जीव बाधा न हो, धरने-उठानेको आदाननिक्षेपणसमिति कहते है। प्रश्न १५७-प्रतिष्ठापन समिति किसे कहते है ? उत्तर-निर्जन्तु एव योग्य भूमिपर जहाँ पुरुषादिके बैठने उठनेका प्राय. नियत स्थान
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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