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________________ गाथा ३१ १४५ प्रश्न १५७-कठोरस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे नियत कठोरनामक स्पर्शको निष्पत्ति होती है उसे कठोर स्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५८-मृदुस्पर्शनामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर—जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत कोमल स्पर्शकी उत्पत्ति होती है उसे मृदुस्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५६-रसनामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत रसकी निष्पत्ति हो उसे रसनामकर्म कहते है। प्रश्न १६०-अम्लरसनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस नामकर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत अम्ल (खट्टे) रसकी निष्पत्ति हो उसे अम्लरसनामकर्म कहते है । प्रश्न १६१- मधुररसनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियंत मधुर रसकी निप्पत्ति हो उसे मधुररसनामकर्म कहते है। प्रश्न १६२-कटुरसनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत कडुवे रसकी निष्पत्ति हो उसे कटरसनामकर्म कहते है। प्रश्न १६३-तिक्तरसनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत तीखे रसकी निष्पत्ति हो उसे तिक्तरसनामकर्म कहते है। प्रश्न १६४- कषायितरसनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत कषले रसकी निष्पत्ति हो उसे कषायितरसनामकर्म कहते है । प्रश्न १६५-गन्धनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत गन्यको निष्पत्ति हो उसे गन्धनामकर्म कहते है। प्रश्न १६६- सुगन्धनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस नामकर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत सुगन्धकी निष्पत्ति हो उसे सुगन्ध नामकर्म कहते है।
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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