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________________ १४४ द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १४७-अर्द्धनाराच सहनननामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे हड्डियां आधी कीलित हो उसको अर्द्धनाराच संहनननामकर्म कहते है। प्रश्न १४८-कीलक सहनननामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे हड्डियाँ कीलियोसो स्पष्ट हो उसे कीलकसहनन नामकर्म कहते है । जैसे नन्दर,विकला, शेर . प्रश्न १४६-असप्राप्तसृपाटिका सहनननामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे हड्डियां नसाजालसे बधी हुई हो उसे असप्राप्तसृपाटिका सहनननामकर्म कहते है। प्रश्न १५०-स्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत स्पर्शको निष्पत्ति होती है उसे स्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५१- स्निग्धस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत स्निग्ध स्पर्शको निष्पत्ति होती है उसे स्निग्धनामकर्म कहते है। प्रश्न १५२- रूक्षस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत रूक्ष स्पर्शकी निष्पत्ति होती है उसे रुक्षस्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५३- शीतस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर-- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत शीतस्पर्शकी निष्पत्ति होती है उसे शीतस्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५४- उष्णस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत उष्ण स्पर्शकी निष्पत्ति होती है उसे उष्णस्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५५- गुरुस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? भारी उत्तर-- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत गुरु नामक स्पर्शकी निष्पत्ति होती है उसे गुरुस्पर्शनामकर्म कहते है। प्रश्न १५६-- लघुस्पर्शनामकर्म किसे कहते है ? हल्का उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे नियत लघु नामक स्पर्शकी निष्पत्ति होती है उसे लघुस्पर्शनामकर्म कहते है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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